________________
२२२ ]
तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : २१६
सातों नरकोंके प्रत्येक पटलकी जघन्य-उत्कृष्ट प्रायुका विवरण अञ्जना पृथिवी । अरिष्टा पृथियो | मघवी पृथिवी । माघवी पृथिवी जघन्य प्रायु.उस्कृष्ट प्राय जघन्य प्रायु अत्यु अनन्यु उत्कृष्ट प्रायु, जत्रायु उत्कृष्ट प्रायु
१.१३ सा०१ १७ सा० सागर २२ सा. ३३ सागर
१२६ ,, २ १८३, २० ॥ , ३ :१६५ .. ११.३०, २२ पार
-
arr
र
. . ५ | १५६ ,, १७ सागर
x...xur_2_।
९ ॥ | १० सागर
नोट :-१. प्रत्येक पटल की जघन्य प्रायुमें एक समय अधिक करना चाहिए । गा० २१४ ।
२. यह जघन्य उत्कृष्ट प्रायुका प्रमाण सातों पृथिवियोंके इन्द्रक बिलोंका कहा गया है, यही
प्रमाण प्रत्येक पृथिवीके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक बिलोंमें रहने वाले नारकियों का भी जानना चाहिए । गा० २१५ ।