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गाथा : २८५ 1 पहनो मवाहिगारो
[ १२६ विशेषार्थ :-तीसरी पृथिबीके अधस्तन पवनोंका विष्कम्भ : राजू , लम्बाई ७ राजू और मोटाई ६०००० योजन है। अतः ३५.5x100% = ७X!!Y8e2x = ४०x१/2:00 घनफल प्राप्त हुआ।
चउत्थ-पुढवीए हेट्टिम-भागावरुद्ध-बाद-खेत्त-घणफलं तिणि-सत्तम-भागूणचत्तारि-रज्जु-विक्खंभा सत्त-रज्जु-पायदा सद्धि-जोयण-सहस्स-बाहल्ला पण्णरस-लक्खजोयगाणं एगणपण्णास-भाग-बाहल्लं जगपदरं होदि ।= १५०००००।
अर्थ :-चौथी पृथिवीके अधस्तन भागमें वातरुद्ध क्षेत्रके घनफलको कहते हैं : --
चौथो पृथिवीका वातरुद्ध क्षेत्र तीन बटे सात (3) भाग कम चार राजू विस्तार वाला, सात राजू लम्बा और साठ हजार योजन मोटा है। इसका धनफल पन्द्रह लाख योजनके उनचासवेंभाग बाहल्ल प्रमाण जगत्प्रतर होता है।
विशेषार्थ :-चौथी पृथिबीके अधस्तन पवनोंका विष्कम्भ २१ राजू, लम्बाई ७ राजू और मोटाई ६०००० योजन है । अत: २५xx०६°°= x:५93929X७ = १५००%89xx. घनफल प्राप्त हुआ।
पंचम पुढवीए हेदिम-भागावरुद्ध-वाद-खेत्त-घणफलं चत्तारि-सत्तम-भागूण'-पंचरज्जु-विक्खंभा सत्त-रज्जु-प्रायदा सद्वि-जोयण-सहस्स-बाहल्ला सट्ठि सहस्साहिय-अट्ठारसलक्खाणं एगूणपण्णास-भाग-बाहल्लं जगपवरं होवि । = १८६०००० ।
अर्थ :-पांचवीं पृथिवीके अधस्तनभागमें अवरुद्ध वातक्षेत्रका घनफल कहते हैं
पाँचवीं पृथिवीके अधोभागमें वातावरुद्धक्षेत्र चार बटे सात (1) भाग कम पांच राजू विस्ताररूप, सात राजू लम्बा और साठ हजार योजन मोटा है । इसका घनफल अठारह लाख, साठ हजार योजनके उनचासवें-भाग बाहल्य प्रमाण जगत्प्रतर होता है ।
___ विशेषार्थ :–पाँचवीं पृथिवीके अधस्तन पवनोंका विष्कम्भ - राजू, लम्बाई ७ राजू और मोटाई ६०००० योजन है । अत: xx.p° = xx?:23920x = ४५०४५ घनफल प्राप्त हुआ।
१. द. भागुमाछरज्जु ।