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गाया : २५६ ] पदमो महाहियारो
[ १०३ ___ अर्थ :-तीसरे तिर्यगायश चतुरस्र क्षेत्रमें भुजा और कोटि जगणी प्रमाण तथा वेध तीन राजू मात्र है । बहुतसे यवों युक्त मुरज-क्षेत्रमें वह क्षेत्र यव और मुरज रूप होता है । इसमेंसे यवक्षेत्रका घनफल सातसे भाजित लोकप्रमाण और मुरजक्षेत्रका घनफल सातसे भाजित और दोसे गुणित लोकके प्रमाण होता है ।।... ५.६
विशेषार्थ :-(३) तिर्यगायत चतुरस्रक्षेत्रमें भुजा और कोटि श्रेणी (७ रा० ) प्रमाण तथा वेध (मोटाई) तीन राजू प्रमाण है । यथा :
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घनफल---यहाँ भुजा अर्थात् ऊँचाई ७ राजू है, उत्तर-दक्षिण कोटि ७ राजू और पूर्वपश्चिम वेध ३ राजू है, अतः ७४७४ ३-१४७ धनराजू तिर्यमायत ऊर्ध्वलोकका घनफल प्राप्त होता है।
४. यवमुरज ऊर्ध्वलोकका घनफल:-इस यबमुरजक्षेत्रको भूमि ५ राजू , मुख १ राजू और ऊँचाई ७ राजू है। यथा---
( चित्र अगले पृष्ठ पर देखिये )