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तिलीयपत्ती
+370923+24383 +245 +4402+83=
७७४४+३६३२+७१८२ + १६६३३+३५८२ + ६५०६+६१० ४६३६२
१४४
१४४
अर्थात् लोकमन्दरमेरुका सम्पूर्ण घनफल ३४३ धनराजू प्राप्त होता है ।
दूष्यलोकका घनफल और उसकी प्राकृति
[ गाया : २३४
'सत्त-हिद-दु-गुण- लोगो विदफलं बाहिरुभय-बाहूणं ।
|등 지금지
पण - भजि-दु-गुणं लोगो इसस्सभंतरोभय-भुजाणं ॥ २३४ ॥
अर्थ :- दुष्यक्षेत्रकी बाहरी दोनों भुजाओंका घनफल सातसे भाजित और दोसे गुरिंगत लोकप्रभाण होता है । तथा भीतरी दोनों भुजाओंोंका घनफल पाँचसे भाजित और दोसे गुरिणत लोकप्रमाण है || २३४॥
विशेषार्थ :- दूष्य नाम डेरेका है । ३४३ वनराजू प्रमाण वाले लोककी रचना दूष्याकार करनेपर इसकी प्राकृति इसप्रकार से होगी :
६ जू
२. ज. ठ. सत्त हिद डुगु लोगो । व सत्त हिंद दुग्गु लोगो ।