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. दशमोऽध्यायः
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समुद्र और द्वीपोंकी अपेक्षा सिद्धोंको रवति आना चाहिये कि समुद्रोंमेंसे तबसे थोडे जीव सिद्ध हुये है, द्वीपोंमेंसे उनसे संख्याते गुणे सिद्ध हो चुके हैं। यह सामान्य बात हुई । अब विशेष रूपसे यों समझो कि लवण समुद्र मेंसे सम्पूर्ण स्थानोंकी अपेक्षा थोडे जीव सिद्ध हुये हैं, कालोदधि समुद्रसे उस लवण समुद्रके सिद्धोंकी अपेक्षा संख्यात गुणे जीव मोक्षको गये हैं । कालोदधि समुद्र की अपेक्षा जम्बूद्वीपोंमेंसे संख्याते गुणे जीवोंने निर्वाण प्राप्त किया है। भलेही जम्बूद्वीपसे लवणसमुद्र चौवीस गुना है । और जम्बूद्वीपसे लोदक समुद्र का क्षेत्रफल छह सौ बहत्तर गुना है । तथापि जम्बूद्वीपसे हुये सिद्धोंकी संख्या अधिक है। हरे गये या विद्याधर अथवा देवोंद्वारा फेंके गये अन्तकृत केवलीही समुद्रोंसे मोक्ष गये हैं। वहां यत्न द्वारा इच्छापूर्वक कोई मुनि ध्यान नहीं लगा सकता है। जिस जीवने जहांपर अष्टकर्मोका क्षय कर दिया है। वह तो उसी क्षेत्रपर सिद्ध हों गया समझा जावेगा। भलेही उसी समय सात राजुऊर्ध्वगमन कर सिद्धलोकमें विराजमान हो जाय।
" बाहिर सूई वग्गं अब्भन्तर सूइ वग्गपरिहीणं, "
" जम्बूवास विभत्ते तत्तियमेत्ताणि खण्डाणि " ( त्रिलोकसार ) बाहिरली सूचीके वर्गमेंसे अभ्यन्तर सूचीके वर्गको घटा दिया जाय और जम्बूद्वीपके वर्ग आत्मक व्यासका भाग दे दिया जाय । तो जम्बूद्वीपकी बरोबरके उतनी संख्यावाले टुकडे बन जाते है । श्रेष्ठ धानकी खण्डद्वीपमें हुये सिद्धोंकी संख्या जम्बूद्वीपके सिद्धोंसे संख्यात गुणी है । जम्बूद्वीपसे धातकी खण्डका क्षेत्रफल एक सौ चवालीस गुणा बडा है । तथा धातकी खण्डमें हुये सिद्धोंमेंसे पुष्कर द्वीपमेंही उपजे वे सिद्ध संख्यातगुणे. हैं । जम्बूद्वीपसे ग्यारह सौ चौरासी गुणा ओर धातकी खण्डसे किंचित् अधिक अठगुना बडा पुष्करार्ध द्वीप है। यों क्रममे गुणाकार रूप हो रहे सिद्ध बहत समझे जाते हैं। अन्यथा यानी जिनसे गणाकार किया गया है । वे सिद्ध थोडे समझने चाहिये, इस प्रकार पूर्वागमका अतिक्रमण नहीं कर संक्षेपसे अल्प और बहुत सम्पूर्ण सिद्धोंको बढिया कहा जा चुका है । विस्तार रूपसे अन्य आगम ग्रन्थों द्वारा पूर्णतया प्रतीति कर लेनी चाहिये । जैसे कि मनुष्यगतिसे पूर्वगतिकी अपेक्षा अल्पबहुत्व यो समझिये कि तिर्यञ्च गतिसे आकर मनुष्य होकर मोक्षको गये, जीव स्वल्प हैं। मनुष्यगतिसे पुन: मनुष्य होकर सिद्ध हुये जीव उनसे संख्यात गुणे हैं, इनसे भी संख्यात गुणे वे जीव है । जो नरकोंसें आकर मनुष्य होकर