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दशमोऽध्यायः
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यहां कोई अनुनयपूर्वक आक्षेप करता है कि प्रदीप प्रकाशके समान आत्माका यदि संकुचित होना, फैलना स्वभाव माना जायगा । तब तो प्रदीपके समानही आत्माको भी अनित्य हो जानेका प्रसंग लागू होगा, आचार्य महाराज कहते हैं कि यह तो न कहना क्योंकि हमको प्रदीपका केवल उतनाही धर्म विवक्षा प्राप्त हो चुका है। जैसे कि किसी सुन्दर मुखवाली स्त्रीको चन्द्रमुखी कह दिया जाता है। " चन्द्रवन्मुखं यस्याः सा चन्द्रमुखी " जिसका मुख चन्द्रमाके समान है । वह चन्द्रमुखी है। यहां केवल चन्द्रमाका दर्शन जैसे प्रिय है । उसी प्रकार स्त्रीका मुखदर्शन भी प्यारा है। यहां मात्र चन्द्रका प्रियदर्शन होना गुणही स्त्रीमुख में विवक्षित कर स्त्रीमुखकी चन्द्रमाकी उपमा दे दी गई है । यों तो चन्द्रमामें आकाश प्रलम्बमानत्व, सकलंकत्व, कुमुदबन्धुत्व, रत्नमयत्व आदि अनेक धर्म हैं । जो कि स्त्रीमुखमें नहीं पाये जाते हैं, एवं स्त्रीमुखमें भी चर्म वेष्टितत्व, नेत्रकृष्णत्व, भक्षकत्व, कफवत्त्व, शद्वोत्पादकत्व, अस्थिमांसक्त्त्व, उच्चारकत्व आदि अनेक धर्म पाये जाते हैं जो कि ज्योतिप्क विमान हो रहे चन्द्रमामें नहीं पाये जाते हैं । अतः प्रदीप दृष्टान्त अनुसार आत्मामें प्रदीपका केवल संकोच विकासशालित्व स्वभाव वक्ताको अभीष्ट हो रहा है । जैसे कि चन्द्र मुखी कहनेपर चन्द्रमाका प्रियदर्शन स्वभावही स्त्रीमुख में उपमाताको इष्ट हो रहा है । प्रदीपके अन्य अनित्यत्व, प्रतापकत्व, धूमोत्पादकत्व, अग्निकायिकजीव धारित्व, पौद्गलिकत्व, घृत,तैल,विद्युत्, गैस जन्यत्व आदिक धर्म आत्मामें नहीं है । तथैव आत्माके चैतन्य, कर्तृत्व, भोक्तृत्व आदिक धर्म प्रदीपमे विद्यमान नहीं हैं। सभी प्रकारोंसे दृष्टान्त और दार्टान्तका समानधर्म सहितपना माना जावेगा तो दृष्टान्तकाही अपन्हव हो जायगा । दार्टान्त स्वयं दृष्टान्त बन बैठेगा । या दृष्टान्तही दान्ति हो जायगा, ऐसी दशामें जगत्से सभी दृष्टान्त चुरा लिये जायगे। अथवा सर्व दृष्टांत छिप जायंगे ।
___ सर्वथाऽभावो मोक्षः प्रदीपवदिति चेन्न, साध्यत्वात् । प्रदीपेपि निरन्वयविना. शस्याप्रतीते स्तस्य तमः पुद्गलभावनोत्पादाद्दीपपुद्गलभावेन विनाशात्पुद्गलजात्या ध्रुवत्वात् । दृष्टत्वाच्च निगलादिवियोगे देवदत्ताद्यवस्थानवत् । न सर्वथा मोक्षावस्थायामभावः ।
__यहां कोई बौद्धदार्शनिक कटाक्ष करता है कि जैसे बत्ती, तैल, अग्नि, पात्रके, मिल जानेपर दीपक निरन्तर प्रवर्तता रहता है । और उनका क्षय हो जानेपर किसी