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पंचम-अध्याय
अतिशयितमहत्वाणुत्वमात्रेण भिन्नं । समधनचतुरस्र व्योमवत्पुद्गलाणु॥ अनुमितमुपकारैर्द्रव्यमात्मादि चाख्यान ।
जयति विपुलविद्यानन्धुमास्वामिसरिः ॥ १ ॥ यहां कोई विनीत शिष्य श्री उमास्वामी महाराज के प्रति जिज्ञासा प्रगट करता है कि गुरु जी महाराज जो आपने धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल, जीव और काल के उपकार बहुत अच्छे कहे हैं वे हमने समझ लिये हैं, किन्तु पुद्गल आपने नहीं कहा कृपा कर उसको समझाइये ऐसी शिष्य की नम्र जिज्ञासा प्रवतने पर सूत्रकार महोदय अग्रिम मूत्र को कहते हैं ।
स्पर्शरसगंधवर्णवन्तः पुद्गलाः ॥२३॥
स्पर्श,रस, गन्ध, और वर्ण ये गुण जिन द्रव्यों में पाये जाते हैं वे पद्गल हैं। अर्थात्-कोमल, कठिन भारी, हलका, शीत,उरण, रूखा, चिकना, इन पाठ पर्यायों वाला स्पश-गुण और कडुग्रा, चरपरा, कसायला, मीठा, प्रामला ( खट्टा ) इन पांच विवों को धार रहा रस गुण है। मधुर में नुनखरे का अन्तर्भाव होजाता है, दक्षिण में नोंन को मीठ कहते भी हैं । तथा सुगन्ध, दुर्गन्ध, दो पर्यायों को धार रहा गन्ध एवं काला, नीला, पीला, सफेद, लाल, इन पांच परिणामों का धारी वर्ण ये गुण पुद्गल के अनुजीवी गुणोंमें से हैं । एक गुणकी एक समय में एक ही परिणति होमकती है, न्यून, अधिक नहीं। स्पर्श गुण में इतनी विशेषता समझी जाय कि कोमल, कठिन, भारी. हलका.ये चारों परिणाम पुद्गल स्कन्ध के हैं, परमाणु के नहीं। पुद्गल परमाणु में स्पर्श नाम के दो गुण हैं, एक ही स्पर्शन इन्द्रिय द्वारा उन दोनों गुणों के विवर्त ज्ञात होजाते हैं। इस कारण दोनों का नाम एक स्पर्शगुण रख दिया गया है, सहभावी नित्य होरहे प्रथम स्पर्श गुण की एक समय शोत या उष्ण इन दो यर्यानों में से किसी भी एक पर्याय स्वरूप परिणति होगी और दूसरे स्पर्श गुण का विकार एक समय में चाहे चिकना अथवा रूखा कोई भी एक होगा, यों पुद्गल में स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षः इन चार इन्द्रियों से जानने योग्य पांच गुणों के नानाकालवर्ती सोलह या वीस परिणतियों में से एक समय में पांच पायी जाती हैं । हां पुदगल स्कन्धो में सात परिणतियां युगपत् होरहीं माना जांग्रगी जैसे कि सम्पूर्ण ससारी अशुद्ध जीवों में अनादि काल से तेरहमे गुणस्थान तक योगशक्ति पायी जाती है, अथवा अनादि काल से चौदहमे गुणस्थान तक पर्याप्ति शक्ति पायी जाती है पश्चात् शुद्ध जीवमें उक्त दोनों पर्याय शक्तियां विनश जाती हैं, उसी प्रकार स्कन्ध अवस्था में पुद्गल के दो पर्याय शक्तियां उपज जाती हैं एक का परिणाम एक समय में हलका या भारी दोनों में से कोई भी एक होगा और दूसरी का विवतं एक समय नरम, कठिन दोनों में से एक कोई भी होगा पुद्गल का शुद्ध अवस्था होजाने पर परमाणुमों में वे दोनों पर्याय शक्तियां विघट जाती हैं ।
स्पर्शग्रहणमादौ विषयबलदर्शनात् । सर्वेषु हि विषयेषु रसादिषु स्पर्शस्य बलं