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तत्त्वार्यश्लोकवार्तिके
कालान्तरवर्ती पुरुषोंकी अपेक्षासे भी निर्बाध हैं । इस देश और इस कालके पुरुषोंकी अपेक्षा अन्य देश और अन्यकालके पुरुषोंसे उक्त आगमको निर्बाध प्रामाण्य सम्पादन करनेके लिये कोई अन्तर नहीं पडता है । भावार्थ-यावत् देश यावत् कालोंके मनुष्योंमें दो हाथ, दो पांव, एक शिर, मुखसे खाना, नाकसे सूंघना आदिमें जैसे कोई अन्तर नहीं है उसी प्रकार वर्तमान काल या इस देशके मनुष्य इस लोकविन्यासको अकृत्रिम अनादि निधन जैसे साध रहे हैं वैसे ही देशान्तर, कालान्तरके मनुष्य भी जगत्को अकृत्रिम ही बाधारहित साधते होंगे तिस कारणसे वे आगम वाक्य सत्यताको प्राप्त हुये समझो । इस कारण वक्ष्यमाण अनुमान द्वारा सिद्ध हो जाता है कि लोकको अकृत्रिम या अनादि निधन कह रहा शास्त्रवाक्य ( पक्ष ) सत्यार्थ है । ( साध्य ) क्योंकि बाधक प्रमाणोंके असम्भव होनेका भले प्रकार निर्णय किया जा चुका है। ( हेतु ) आत्मा, आकाश, मोक्ष, आदिके प्रतिपादक शास्त्र वाक्योंको जैसे सत्यता प्राप्त है । ( अन्वय दृष्टान्त )। यों आठवीं वार्तिकसे कर्तृवादका पूर्वपक्ष आरम्भ कर यहांतक प्रकरणोंकी संगति मिला दी गयी है ।
अथानुमानादप्यकृत्रिमं जगात्सिद्धमित्याह । जिस प्रकार आगम प्रमाणसे लोकको नित्य सिद्ध किया गया है। अब अग्रिम वार्त्तिक द्वारा अनुमान प्रमाणसे भी श्रीविद्यानन्द स्वामी इस जगत्को कर्तासे अजन्य. सिद्ध करते हुये यों कह रहे हैं कि
विशिष्टसन्निवेशं च धीमता न कृतं जगत् ।। दृष्टकृत्रिमकूटादिविलक्षणतयेक्षणात् ॥ ६८ ॥ समुद्राकरसंभूतमणिमुक्ताफलादिवत् । इति हेतुवचः शक्तेरपि लोकोऽकृतः स्थितः ॥ ६९॥
विलक्षण रचनावाला यह जगत् ( पक्ष ) किसी बुद्धिमान् करके किया गया नहीं है ( साध्य ) जिन कृत्रिम पदार्थों को बनानेवाले कर्ती देखे जाते हैं । उन कूट, गृह, गाडी, आदि कृत्रिम पदार्थोसे विलक्षणपने करके देखा जा रहा होनेसे (हेतु ) समुद्र या खानमें भले प्रकार स्वकीय कारणोंसे उपजे मोती, मूंगा, हीरा, पन्ना आदि पदार्थों के समान ( अन्वयदृष्टान्त ) इस प्रकार निर्दोष हेतुके वचनकी सामर्थ्यसे भी यह लोक अनुमान प्रमाण द्वारा अकृत्रिम व्यवस्थित हो चुका है । अर्थात्चौकी, सन्दूक, किवाड आदिको बढई बना सकता है। किन्तु इसके उपादानकारण काठको नहीं बना सकता है । सूचीकार वस्त्रोंको सींच सकता है किन्तु रुई, ऊन, रेशमको स्वतंत्रतया नहीं गढ सकता है । रुई बनके पेडपर लगती है, पशु पक्षी, मनुष्योंके वाल ऊन हैं रेशमकों कीडे बताते हैं