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तत्वार्यचिन्तामणिः
चित्राद्वैतप्रवादश्च पुंशब्दाद्वैतवर्णनम् ।
बाह्यार्थेषु च भिन्नेषु विज्ञानाण्ड (नांश) प्रकल्पनं ॥ १२ ॥
निषेध कर देना यह
अपने अपने स्वरूपसे सत्भूत पदार्थोंके विद्यमान रहनेपर अथवा स्वद्रव्य, क्षेत्र, काल, भासे पदार्थोंके विद्यमान होनेपर शून्यवादी विद्वान् द्वारा सम्पूर्ण पदार्थों का शून्यवाद नामका विपर्यय है । क्योंकि पदार्थों के विद्यमान होनेपर भी उनका निषेध कर रहा है । तथा ज्ञेय पदार्थ और ज्ञापकज्ञान पदार्थ इनमें प्राप्राकमा होते हुर या आश्रय श्राश्रयीभूत पदार्थोंमें आधार आधेय भाव होते हुए अथवा अनेक पदार्थोंमें कार्यकारणभाव आदि सम्बन्ध होनेपर भी ज्ञानका ही अद्वैत कहते जाना यह विज्ञानाद्वैतवादी बौद्धों का विपर्यय है। क्योंकि प्राप्राहरुमाव आदि द्वैत पदार्थों के होते हुए भी उनका निषेध कर दिया है। तथा नाना प्रकार बहिरंग पदार्थों के विद्यमान होनेपर भी चित्र आकारवाले ज्ञानके अद्वैत माननेका प्रवाद भी बौद्धोंका एक विपर्यय है । इसी प्रकार द्वैतके होनेपर मी ब्रह्मवादियों द्वारा ब्रह्माद्वैतका वर्णन करना अथवा वैयाकरणों द्वारा शद्वाद्वैत स्वीकार करना भी आहार्य कुबान है। तथा मित्र मिस्र स्थूल, काकान्तरस्थायी, बहिरंग अवयवी पदार्थों के होते सन्ते भी क्षणिक, अवयव, अणुस्वरूप, विज्ञान के अंशोंकी कल्पना करते चले जाना विज्ञानाद्वैतवादी बौद्धों का विपर्यय है । ये सब सत् पदार्थों में असदको कल्प रहे हैं। सम्पूर्ण चराचर जगत् को ब्रह्माण्ड या विज्ञानाण्ड में तदात्मक रखना उचित नहीं है।
बहिरन्तश्च वस्तूना सादृश्ये वैसदृश्यवाक् ।
वैसदृश्ये च सादृश्यैकान्तवादावलम्बनम् ॥ १३ ॥
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तथा घट, पट, वस्त्र, पुस्तक, आदि बहिरंग पदार्थ और आत्मा, ज्ञान, सुख, दुःख इच्छा आदि अन्तरंग वस्तुओंके कथंचित् सादृश्य होनेपर भी सर्वया विलक्षण नेका कथन करना यह विशेष के ही एकान्तको कहनेवाले बौद्धोंका विपर्ययज्ञान है। एवं दूसरा बहिरंग और अन्तरंग पदार्थो का कथंचित् वैलक्षण्य होनेपर भी वे सर्वथा सदृश ही हैं " इस प्रकार सामान्य एकान्तवादका अवलम्ब छेकर पक्ष पकडे रहना सहरा एकान्तवादी विद्वान् का विपर्यय है ।
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द्रव्ये पर्यायमात्रस्य पर्याये द्रव्यकल्पना । तद्वयात्मनि तद्भेदवादो वाच्यत्ववागपि ॥
१४ ॥
अतीत, अनागत, वर्तमान, पर्यायोंमें अन्वित होकर व्यापनेवाले नित्यद्रव्यों के होते हुए भी केवळ पर्यायोंकी ही कल्पना करना अथवा पर्यायोंके होते सन्ते केवल द्रव्योंको ही कल्पना करना