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तत्वार्यश्लोकवार्तिके
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मानसिक विचारोंको नहीं बदल सकता है। दुर्दैव किसी स्त्रीके धन, पुत्र, सौन्दर्य, को भले ही न होनेदे, किन्तु उसके हाथ, पैर, अंग उपांगोंको नहीं छिडालेता है । किसी एवम्भूत नयने तो अग्निके ज्ञानको ही अग्नि माना है।
विशिष्टान्परित्यज्य नान्या संबंधितास्ति चेत् । तदभावे कुतोर्थानां प्रतितिष्ठेद्विशिष्टता ॥ ८८ ॥ स्वकारणवशादेषा तेषां चेत् सैव संमता। संबंधितेति भिद्येत नाम नार्थः कथंचन ॥ ८९ ॥
बौद्ध कहते हैं कि अतिनिकटमें रखे हुये, एक दूसरेसे नहीं चिपटे हुये, विशेष अवस्थावाले पदार्थीको छोडकर अन्य कोई उन अर्थोका संबंधीपना नहीं है। ऐसा माननेपर तो हम जैन कहते हैं कि उस संबंधके न माननेपर अर्थोका विशिष्टपना भला कैसे प्रतिष्ठित रह सकेगा ! यदि आप बौद्ध यों कहें कि अपने अपने कारणोंके वशसे ही उन अर्थोकी विशिष्टता होना हमको अभीष्ट है, तब तो हम कहेंगे कि वही तो हमारे यहां संबंधिता सम्मत की गई है । इस ढंगसे तो नाममात्रका ही भेद हो रहा है । अर्थका कैसे भी भेद नहीं है । बौद्ध जिसको विशिष्टता कहते हैं, हम जैन उसको संबंधिता मानते हैं । शद्वोंमें व्यर्थ झगडा करना हमें इष्ट नहीं है। तत्त्वार्थ सिद्ध होनेसे प्रयोजन है। किन्तु यह विशिष्टता या संबंधिता पदार्थोकी विशेष परिणतिपर ही अवलम्बित है। अतः सम्बन्ध वस्तुभूत सिद्ध हो जाता है । " यावन्ति कार्याणि तावन्तो वस्तुतः स्वभावभेदाः " वस्तुसे जितने कार्य हो रहे हैं, उतने उसमें वास्तविक परिणाम हैं। ___ न हि संबंधाभावाः परस्परं संबद्धा इति विशिष्टता तेषां प्रतितिष्ठत्यतिप्रसंगात् । स्वकारणवशात् केषांचिदेव संबंधपत्ययहेतुता समानप्रत्ययहेतुतावदिति चेत् सैव संबंधिता तद्वदिति नाममात्र भिद्यते न पुनरर्थः प्रसाधितश्च संबंधः पारमार्थिकोऽर्थानां प्रपंचतः प्राक् |
पदार्थ परस्परमें संबंधको प्राप्त हो रहे हैं । इस प्रकारका उनका विशिष्टपना संबंधके अभाव माननेपर नहीं प्रतिष्ठित हो पाता है । क्योंकि कोई नियामक न होनेसे संबंधितपनेका अतिक्रमण हो जायगा। अनेक संबंधरहित पदार्थ भी संबंधी बन बैठेंगे। अर्थात् परस्परमें कालाणुओंका या जीवका दूसरे जीवके साथ संबंधित हो जानेका प्रसंग होगा। इसपर बौद्ध यदि यों कहें कि अपने अपने कारणोंकी अधीनतासे किन्हीं ही अत्यासन्न, अव्यवहित हो रहे पदार्थोंका संबंधीपन माना जायगा, जो कि " इनके साथ इनका संबंध है " इस ज्ञानका कारण बन जायगा । जैसे कि जैनोंके यहां सभी साधारण या असाधारण पदार्थोंमें समानपनेका ज्ञान करानेकी कारणता नहीं मानी है। किन्तु अपने