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तत्वार्थ लोकवार्तिके
प्रगट करनेपरं तो प्रत्यक्षका लक्षण असम्भवी हो जावेगा। क्योंकि तैसी स्वार्थ निश्चयरूप कल्पनासे रहित प्रत्यक्ष प्रमाणका कभी भी संभव नहीं है । यानी प्रत्यक्षके लक्षणमें असंभव दोष आता है। वस्तुतः विचारा जाय तो सर्व ही प्रत्यक्ष स्वार्थ व्यवसायरूप हैं। दूसरी बात यह है कि बौद्धोंने मानस प्रत्यक्षको निश्चयस्वरूप स्वीकार किया है । उसका विरोध हो जायगा । जिसने स्वार्थनिश्चयरूप कल्पनासे रहित प्रत्यक्षको माना है, वह मानसप्रत्यक्षको निश्चयात्मक भला कैसे स्वीकार कर सकता है ? अर्थात् नहीं।
केषांचित्संहृतसकलविकल्पावस्थायां सर्वथा व्यवसायशून्यं प्रत्यक्षं प्रत्यात्मवेयं संभवतीति नासंभविलक्षणमिति चेत् न, असिद्धत्वात् । यस्मात्
किन्हीं जीवोंके सम्पूर्ण विकल्पोंके नष्ट ( दूर ) होजानेकी अवस्थामें सभी प्रकार व्यवसायोंसे रहित प्रत्यक्ष हुआ अच्छा दीखरहा है । यह प्रत्येक आत्माको स्वसंवेद्य होकर सम्भव रहा है। अर्थात् जब कभी हम झगडे, टंटोसे रहित होकर संकल्प विकल्पोंसे रिक्त अवस्थामें पदार्थको देखते हैं, तब किसीका निर्णय न होकर शुद्ध प्रतिभासका ही स्वसंवेदन होता रहता है । इस कारण बौद्धोंसे माना गया प्रत्यक्षका लक्षण असंभव दोषवाला नहीं है । प्रत्यक्ष स्वरूप अनेक लक्ष्योंमें घटित हो रहा है । आचार्य कहते हैं कि यह तो न कहना । क्योंकि आप बौद्धोंका उक्त कथन सिद्ध नहीं हो पाता है, जिस कारणसे कि. संहृत्य सर्वतश्चित्तं स्तिमितेनांतरात्मना ।
स्थितोपि चक्षुषा रूपं खं च स्पष्टं व्यवस्यति ॥ १३ ॥
सब ओरसे चित्तका संकोच करके स्तम्भित या प्रशान्त होरही अंतरंग आत्मासे स्थित हो रहा भी पुरुष चक्षु द्वारा अपने ज्ञानको भीतर और रूपको बाहर स्पष्ट निर्णीत कर रहा है। अर्थात् बौद्धोंने जो निर्विकल्पकज्ञान होनेकी सामग्रीका अवसर बताया है, उस समय भी स्पष्टरूपसे स्वार्थका निर्णय हो रहा है। प्रत्युत संकल्पविकल्पोंसे रहित अवस्थामें तो और भी अधिक स्पष्ट निर्णय होता है । कोई खटका नहीं है। ___ततो न प्रत्यक्षं कल्पनापोढं प्रत्यक्षत एव सिद्धयति, नाप्यनुमानात् । तथा हि
तिस कारण प्रत्यक्षप्रमाण कल्पनाओंसे रहित है, यह प्रत्यक्षसे ही सिद्ध नहीं हो पाता है। जब कि सदा ही प्रत्यक्षज्ञान निर्णय आत्मक हो रहा है । कल्पनाओंसे रहितपना भी तो एक कल्पना है। तथा अनुमानसे भी प्रत्यक्षका बौद्धोंसे अभीष्ट हो रहा विकल्पोंसे रहितपना सिद्ध नहीं हो पाता है। उक्त अर्थको विशद कर कहते हैं, सो सुनो। ..