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तत्वार्थ लोकवार्तिके
प्रमाण और फलस्वरूप दो स्वभावोंकी कल्पना करनेवालोंके यहां विशेष हेतुका असम्भव है । अर्थात् विना कारण निरंश ज्ञानमें प्रमाणपन और फलपन व्यवहृत नहीं हो सकता है।
न हि निरंशां संवित्ति स्वयमुपेत्य प्रमाणफलद्वयरूपतां तत्त्वप्रविभागेन कल्पयन्तो युक्तिवादिनस्तथाकल्पने हेतुविशेषस्यासम्भवित्वात् ।
स्वभाव, अतिशय, धर्म, आदि अंशोंसे सर्वथा रहित माने गये संवेदनको स्वीकार कर तत्त्वों प्रकृष्ट विभाग करके उस प्रमाण फलके व्यवहारसे संवेदन में प्रमाण और फलपना ऐसे दो स्वरूपोंकी कल्पना करनेवाले बौद्ध युक्तिपूर्वक कहनेकी टेव रखनेवाले नहीं हैं। क्योंकि भ पदार्थ में तिस प्रकार प्रमाणं फलपनेकी कल्पना करनेमें किसी विशेष हेतुका होना नहीं सम्भवता है ।
विना हेतुविशेषेण नान्यव्यावृत्तिमात्रतः ।
कल्पितोऽर्थोऽर्थसंसिद्धयै सर्वथातिप्रसंगतः ॥ ३२ ॥
विशेष हेतुके विना केवल अन्यव्यावृत्तिसे ही कल्पना कर लिया गया अर्थ तो प्रयोजनकी भले प्रकार सिद्धिके लिये सभी प्रकारसे समर्थ नहीं है । अन्यथा अतिप्रसंग हो जायगा । अर्थात् लकडीका बना हुआ घोडा भी बालकको भगा ले जायगा । कागजके फूलसे भी गन्ध आने लगेगी । कल्पित मोदक भी तृप्तिके कारण हो जायेंगे । यदि कल्पनासे ही कार्य होने लग जांय तो हाथ, पैर हिलाने और पुरुषार्थ करनेकी आवश्यकता ही न रहेगी । अतः कोरी अप्रमाण व्यावृत्तिसे प्रमाणपना और अफल व्यावृत्तिसे फलपना ज्ञानमें व्यवस्थित नहीं हो सकता है । किन्तु तदनुरूप यथार्थ स्वभाव मानने पडेंगे ।
न हि तत्र निमित्तविशेषाद्विना कल्पितं सारूप्यमन्यद्वा किञ्चिदर्थं साधयति, मनोराज्यादेरपि तथानुषंगात् । नाप्यसारूप्यव्यावृत्तितः सारूप्यं अनधिगतिव्यावृतोऽधिगतिः संवेदनेनंशेपि वस्तुतो व्यवहियत इति युक्तं द्ररिद्रेऽराज्यव्यावृत्या राज्यं अनिन्द्रत्वव्यावृत्या इंद्रत्वमित्यादिव्यवहारानुषंगात् ।
आचार्य कहते हैं कि विशेष निमित्तके विना कोरा कल्पना करलिया गया सारूप्य अथवा दूसरे घोडा मनोमोदक आदि पदार्थ किसी भी प्रयोजनको सिद्ध नहीं कराते हैं। फिर भी आग्रह करोगे तो खेलते हुए चालकोंके समान अपने मनमें कल्पना कर लिये गये राजापन या पण्डिताई आदिको भी तिस प्रकार राजा और पण्डितोंके समान अर्थक्रिया करानेका प्रसंग होगा। यदि बौद्ध यों कहें कि हम अन्यापोहको मानते हैं, वस्तुतः गौ कोई पदार्थ नहीं है। हमारे यहां वस्तुभूत माना गया स्वलक्षण तो अवाच्य है। गौसे भिन्न अव, महिष, आदिक सभी अगो हैं और उन गो