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तत्वार्थश्लोकवार्तिके
आगमद्रव्यका सहायक नोआगमद्रव्य होता है। नोआगमद्रव्य फिर ज्ञायक शरीर, भावी और तद्यतिरिक्त इन भेदोंसे तीन प्रकारका है। उनमेंसे जीवशास्त्र, मोक्षशास्त्र, सम्यक्त्वशास्त्र आदिको जाननेवाले आत्माका शरीर तो ज्ञायकशरीर है । वह भूत, वर्तमान और भविष्य इन तीन कालोंका विषय होता हुआ तीन प्रकार है । वर्तमान और भावी शरीरका अर्थ सुगम है। क्योंकि वह आत्मा वर्तमान शरीरको धारण कर ही रहा है और आगामी भविष्यकालके शरीरको धारण करेगा ही, वे ही भविष्यद्रव्यपनेकी अपेक्षा रखते हुए वर्तमान और भावी शरीर हैं । इनमें तीसरा भूतशरीर 'च्युत, च्यावित और त्यक्तकी अपेक्षासे तीन प्रकार है । यद्यपि ये भूतकालके परिणाम हैं, किन्तु भूत, भविष्यकी योग्यतारूप द्रव्यपना इनमें घट जाता है। ये शरीर भूतकालमें होते हुए उससे भविष्यकालमें होनेवाले ज्ञानके सहायक बन चुके हैं । नित्य आत्मद्रव्यके किसी परम्पराकी अपेक्षा शास्त्रज्ञान करनेमें फिर भी उपयोगी बन सकेंगे । षष्ठी तिथिको चौथ समझनेवाले किसी पुरुषने पूंछा कि अष्टमी कब है ? उत्तरदाताने कहा कि परसों है। प्रश्नकर्ता सम्भ्रान्त होकर कहता है कि क्या अष्टमी परसों ही हो गयी। यहां भविष्यमें भूतकालका आरोप है । कार्तिक वदी चतुर्दशीको जैन जन कहते हैं कि वीरनिर्वाण कल दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्तमें होगा। यह भूतमें भविष्यकालका आरोप है तथा क्वचित् द्रव्यनिक्षेप भूतपरिणामोंको भी विषय कर लेता है ।
भाविनोआगमद्रव्यमेष्यत्पर्यायमेव तत् ।. तथा तद्यतिरिक्तं च कर्मनोकर्मभेदभृत् ॥ ६३ ॥ ज्ञानावृत्यादिभेदेन कर्मानेकविधं मतम् । नोकर्म च शरीरत्वपरिणामनिरुत्सुकम् ॥ ६४ ॥ पुद्गलद्रव्यमाहारप्रभृत्युपचयात्मकम् । विज्ञातव्यं प्रपञ्चेन यथागममबाधितम् ॥ ६५ ॥
उन उन शास्त्रोंको जाननेवाला जो आत्मा भविष्यमें आनेवाली पर्यायोंकी ओर अभिमुख ही है, उन पर्यायोंसे आक्रान्त हो रहा आत्मा भाविनोआगम द्रव्य है । तथा कर्म और नोकर्म इन दो भेदोंको धारण करनेवाला तीसरा तद्यतिरिक्त नोआगम-द्रव्यनिक्षेप है । ज्ञानावरण, दर्शनावरण आदि भेद करके कर्म अनेक प्रकारका माना गया है। बाईस वर्गणाओंमेंसे कार्मणवर्गणाएं अष्टविध कर्मरूप परिणमसकेंगी। तथा वर्तमानमें शरीरपनारूप परिणतिके लिये उत्साहरहित जो आहार वर्गणा, भाषावर्गणा, मनोवर्गणा, तेजोवर्गणारूप एकत्रित हुआ पुद्गलद्रव्य है वह नोकर्म समझ लेना चाहिये । उक्त विषयोंको विस्तारसे आगमके अनुसार और बाधाओंसे रहित व्याख्यान कर लेना चाहिये । यहां संक्षेपसे कह दिया है ।