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तत्त्वार्यचिन्तामणिः
कथमन्यथेदं शोमेत, – “ यत्किञ्चिदात्माभिमतं विधाय, निरुत्तरस्तत्र कृतः परेण, वस्तुस्वभावैरिति वाच्यमित्यं तदुत्तरं स्याद्विजयी समस्तः ॥ १ ॥ प्रत्यक्षेण प्रतीतेऽर्थे, यदि पर्यनुयुज्यते, स्वभावैरुत्तरं वाच्यं दृष्टे कानुपपन्नता ॥ २ ॥ " इति ।
यदि प्रत्यक्षित कार्य होनेपर स्वभावोंसे उत्तर देना और परोक्षमें स्वभावों करके उत्तर न देना यह न्याय न मानकर अन्य प्रकारसे मानोगे तो आपका इन दो लोकों द्वारा यह कथन कैसे शोभा देगा कि जो कुछ भी सच्चा झूठा, अपनेको अभीष्ट तत्त्व है, उसका प्रतिवादीके सन्मुख पूर्वपक्ष करके पीछे प्रतिवादीके द्वारा समीचीन दोष उठानेसे यदि वादी वहां निरुत्तर कर दिया जाये तो भी वादी चुप न बैठे, किंतु ऐसा ही वस्तुका स्वभाव है, ऐसा ही वस्तुका स्वभाव है, इस - प्रकार से उस प्रतिवादीके दोष उत्थापनका उत्तर देता रहे, ऐसा अन्याय करनेपर तो सब ही वादी विजयी हो जायेंगे || १ || प्रत्यक्षप्रमाणके द्वारा अर्थके निर्णीत होनेपर यदि कोई चोद्य उठावे तो वस्तुस्वभाव करके उत्तर कह देना चाहिये। क्योंकि सभी बालगोपाल तथा परीक्षकों के द्वारा देखे गये स्वभावमें क्या कभी असिद्धि हो सकती है ? अर्थात् नहीं । तुम ही उन स्वभावोंके अनुसार अपने तर्क या हेतुको सम्हाल हो ! तुम्हारे तर्कके अनुसार वस्तुस्वभाव नहीं बदल सकता है ॥ २ ॥ इस प्रकार आप बौद्धोंने भी परोक्षपदार्थका स्वभावों करके नियम करना नहीं माना है । प्रत्युत परोक्ष होनेपर स्वभावोंके द्वारा उत्तर देनेवालेका " तीसमारखां " के समान विजयी हो जानेका उपहास किया है ।
शाकिबीजादेः शाल्यङ्कुरादिकार्यस्य दर्शनात्तज्जननशक्तिरनुमीयत इति चेत्, तस्य तत्कार्यत्वे प्रसिद्धेऽप्रसिद्धेऽपि वा ? प्रथमपक्षेऽपि कृतः शाल्यङ्कुरादेः शालिवीजादि कार्यत्वं सिद्धम् ? न तावदष्यक्षात्तत्र तस्याप्रतिभासनात्, अन्यथा सर्वस्य तथा निश्चयप्रसंगात् ।
सौगत कहते हैं कि शक्तियोंका प्रतिनियम करना प्रत्यक्षसे नहीं किंतु अनुमानसे तो हो जावेगा । लडके लडकी और किसान लोग छोटे छोटे शरावोमें अन्नको बोकर कुबीष्ण और सुबीअका निर्णय कर लेते हैं । धानके बीजरूप कारणसे घानका अंकुररूप कार्य और जौके बीजसे जौका अंकुररूप कार्य होता हुआ देखा जाता है | अतः उनको पैदा करनेवाली शक्तिका उन बीज में अनुमान कर लिया जाता है। ग्रंथकार कहते हैं कि यदि बौद्ध ऐसा कहेंगे तो हम पूंछते हैं कि उस धान अंकुरको उस घान बीजका कार्यपना प्रसिद्ध होनेपर जनन शक्तिका अनुमान करोगे ? अथवा मान अंकुरको धानवीजका कार्यपना नहीं प्रसिद्ध होते हुए भी कारणशक्तिका अनुमान करलोगे ! बताओ। यहां दूसरा पक्ष अप्रसिद्धका तो कथमपि ठीक नहीं है हां, पहिला पक्ष लेनेपर भी आप यह कि मानके अंकुर और जौके अंकुर आदिको धानवीज और जौ आदिका कार्यपना आपने