________________
वयाचिन्तामानः
ज्ञानगुणका समवाय तो पीछे हुआ माना है, फिर मूलमें घटके समान आस्मा जड ही ठहरा, तुम नैयायिक पेसा निर्णय नहीं कर लेना कि आत्मा सर्वप्रकारसे जड भी बना रहे और मैं ज्ञानबान हूं" इस बासको भी समझ लेवे, क्योंकि हम मेवादियों का मंतन्य है कि जर होनेमें और समझनेवाला होनेमें कोई विरोध नहीं है । आचार्य कह रहे हैं कि उस आत्माको उस प्रकार नयायिकोंके यहां निर्णय करनेकी उपपत्ति होना नहीं सम्मव है । इसी पातको प्रसिद्ध कर कहते हैं जर आत्मा तदात्मक प्रमाण द्वारा स्व को ज्ञानवान् पनेकी प्रतीति नहीं कर सकता है।
ज्ञानं विशेषणं पूर्व गृहीत्वात्मानमेव च । विशेष्यं जायते बुद्धिज्ञानबानहमित्यसौ ॥ २०० ॥ तद्हीतिः खतो नास्ति रहितस्य स्वसंविदा ।
परतश्चानवस्थानादिति तत्प्रत्ययः कुतः ॥ २०१ ।।
विशिष्ट बुद्धिके उत्पन्न होनेके प्रथम विशेषण और विशेष्यके जाननेकी आवश्यकता है। " घटवान् - भूतल है " यह प्रत्यय घट विशेषण और भूतल विशेष्यके ग्रहण करनेपर होता है " विशिष्टबुद्धिर्विशेषमविशेष्यसंबंधविषया" विशिष्ट बुद्धि होनेका यही क्रम है । प्रकृतमें ज्ञानविशेषणको पहिके प्रण कर और आत्मा स्वरूप विशेष्यको ग्रहण कर ही " में ज्ञानवान हूं" इस प्रकारकी वह बुद्धि उत्पन्न होसकती है। अब उस ज्ञानका ग्रहण आमाके अपने आपसे सो होता नहीं है, क्योंकि आपने मात्मा और ज्ञानको स्वसंवेदनसे रहित हो रहा माना है। नेयायिकोंने आत्माका वेदन, और ज्ञानका ज्ञान, स्वसंवेदनसे अपने आप होना इष्ट नहीं किया है, ऐसी शामें जिस ज्ञानसे मात्मा विशिष्ट हो रहा है, उस झानको शानके अतिरिक्त कौन जानेगा ! यदि दूसरे ज्ञानसे विवक्षित ज्ञानका ज्ञान होना मानोगे तो अनवस्वा दोष आवेगा। क्योंकि दूसरे ज्ञानको तीसरे शानसे, और तीसरेको चौथे ज्ञानसे, जाननेपर आकांक्षा बढ़ती ही जावेगी। " नाज्ञातं ज्ञापक नाम " जो स्वयं ज्ञात नहीं हुआ है, वह दूसरे प्रमेयका ज्ञापक नहीं हो सकता है। ऐसी अवस्थाम उस ज्ञानरूपविशेषणकी प्रतीति कैसे होगी ? बताओ। जिससे कि ज्ञान और आत्माका । अहण होकर पैदा होनेवाली " मैं ज्ञानवान हूं " यह विशिष्टबुद्धि उत्पन्न हो सके।
येषां नागृहीतविशेषणा विशेष्ये बुद्धिरिति मतं श्वेताच्छ्रेते बुद्धिरिति वचनासेषा ज्ञानवानहमिति प्रत्ययो नागृहीते झानारव्ये विशेषणे विशेष्ये चात्मनि जातूत्पयते, खमतविरोधात ।
बिन नैयायिकोंका यह माना हुआ सिद्धांस है कि विशिष्टका ज्ञान तप उत्पन्न होता है, जब कि पूर्व विशेषण और विशेष्य दोनों को जान लिया जाय, तथा विशेष्यन्नान ता होगा जब