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तत्वार्थसार
अर्थ - इसप्रकार शेष छह तत्त्वोंके साथ जो बन्धतत्त्वकी श्रद्धा करता है, उसे जानता है और उसकी उपेक्षा करता है अर्थात् उसके प्रति रागद्वेषका त्याग करता है वह निर्वाणको प्राप्त होता है ॥ ५४ ॥
इस प्रकार श्रोअमृतचन्द्राचार्य द्वारा विरचित तवार्थसारमें बतत्वका वर्णन करनेवाला पञ्चम अधिकार पूर्ण हुआ ।