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तृतीयाधिकार
१०५ वर्णगन्धरसस्पर्शसंयुक्ताः परमाणवः ।
स्कन्धा अपि भवन्त्येते वर्णादिभिरनुज्झिताः ॥६१॥ ___ अर्थ-वह परमाणु सूक्ष्म होता है, नित्य होता है, अन्तिम होता है, कार्यलिङ्गका कारण होता है, एक गन्ध, एक रस, एक वर्ण और दो स्पोंसे युक्त होता है। परमाणु, वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श युक्त स्कन्ध भी बन जाते हैं अथवा भेद अवस्थाको पाकर स्कन्ध भी परमाणुरूप हो जाते हैं। ____ भावार्थ-परमाणु अत्यन्त सूक्ष्म होता है । इतना सूक्ष्म कि मतिज्ञान और श्रुतज्ञानके द्वारा उसका साक्षात् अवलोकन नहीं हो सकता। परमाणुका कभी नाश नहीं होता इसलिये वह नित्य कहलाता है । स्वन्त्रके भेद होते होते अन्त में परमाणुरूप ही अवस्था होती है इसलिये उसे अन्त्य कहा है। दो परमाणु मिलकर यणुक स्कन्धके कारण होते हैं, इसलिए इसे कार्यलिङ्गका कारण कहा जाता है । एकप्रदेशी होने से परमाणुमें एक गन्ध, एक रस और एक वर्ण होता है। आठ स्पर्शोमेसे कोमल, कड़ा, हलका और भारी ये चार स्पर्श परमाणुमें सर्वथा नहीं होते, किन्तु शीत और उष्णमेसे कोई एक तथा स्निग्ध और रूक्ष में से कोई एक इस प्रकार दो स्पर्श होते हैं। परमाणु, वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्शसे सहित हैं इसलिए उनसे जब स्कन्धको उत्पत्ति होती है तब वे भी वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्शसे सहित होते हैं और चूँकि स्कन्ध वर्णादिसे सहित हैं इसलिए जब स्कन्ध वियुक्त होकर परमाणुरूप होते हैं तब वे भी वर्णादिसे सहित होते हैं ।। ६०-६१ ॥
पुदगलको पर्यायोंका वर्णन . शब्द-संस्थान-सूक्ष्मत्व-स्थौन्य-बन्ध-समन्विता ।
तमश्छायातपोयोतमेदवन्तश्च सन्ति ते ॥६२।। - अर्थ-वे पुद्गल शब्द, संस्थान, सूक्ष्मत्व, स्थौल्य, बन्ध, तम, छाया, आतप, उद्योत और भेदसे युक्त होते हैं ।। ६२ ।।
शब्दके भेद साक्षरोऽनक्षरश्चैव शब्दो भाषात्मको द्विधा ।
प्रायोगिको वैससिको द्विधाऽभाषात्मकोऽपि च ॥६॥ अर्थ-शब्द भाषात्मक और अभाषात्मकके भेदसे दो प्रकारका है। उनमें भाषात्मक शब्द साक्षर और अनक्षरके भेदसे दो प्रकारका है । संस्कृत, प्राकृतादिभाषारूप जो शब्द हैं वे साक्षर शब्द कहलाते हैं तथा द्वीन्द्रियादिक जीवोंके