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________________ [ ३९ प्रथमोऽध्यायः भिगृ ह्यन्ते न द्रव्यमिति परमतनिराकरणार्थं सूत्रारम्भः । श्रन्यथा बह्वादीनामप्यर्थत्वात्सूत्रमिदमनर्थकमेव स्यादिति भावः । बह्वादिविशेषणरूपस्य व्यञ्जनस्य किं सर्वे परिच्छित्तिविशेषा भवन्त्याहोस्वित्कश्चिदेवेति पृष्ट ग्रह व्यञ्जनस्यावग्रहः ।। १८ ।। व्यज्यते श्रोत्रादिभिर्गृह्यते यत्तद्वयञ्जनमव्यक्तं शब्दादिजातम् । सिद्धेविधिरारभ्यमाणो नियमार्थो भवतीति नियमार्थमिदं सूत्रम् । तेन व्यञ्जनस्यावग्रह एव ग्राहको भवति नेहादय इत्ययमर्थो लब्धः स्यात् ग्रहणस्यो भयत्र साधारणत्वात् । अर्थावग्रहव्यञ्जनावग्रहयोः किंकृतो विशेष इति - चेद्वयक्ताव्यक्तकृतोऽस्ति विशेषोऽभिनवशरावार्द्रीकररणवत् । यथा जलकरणद्वित्रिसिक्तः शरावोऽभिनवो 1 ज्ञान होते हैं । उस द्रव्य से अभिन्न गुण होते हैं अतः द्रव्य के ग्रहण से गुणों का ग्रहण हो जाता है | परवादी चक्षु आदि इन्द्रिय द्वारा गुण ही ग्रहण होते हैं द्रव्य ग्रहण नहीं होता ऐसा मानते हैं इस परमत का निराकरण करने के लिये यह सूत्र रचा है । यदि यह मान्यता नहीं होती तो बहु आदि अर्थरूप होने से यह सूत्र आवश्यक ही था । बहु आदि विशेषण वाले व्यञ्जन रूप पदार्थ के अवग्रह आदि सभी ज्ञान होते हैं या कुछ ही होते हैं ऐसा प्रश्न होने पर सूत्र कहते हैं सूत्रार्थ - व्यञ्जनरूप पदार्थ का अवग्रह ज्ञान होता है । कर्ण आदि द्वारा जो ग्रहण होता है वह व्यञ्जन कहलाता है अर्थात् अव्यक्त शब्दादि को व्यञ्जन कहते हैं । "सिद्ध वस्तु में विधि का आरंभ नियम के लिये होता है" इस न्याय से यह सूत्र नियम बनाने के लिये आया है, इससे यह अर्थ फलित होता है कि व्यञ्जन रूप पदार्थ का अवग्रह ज्ञान ही होता है ईहा आदि नहीं होते । व्यञ्जन और अव्यञ्जन दोनों का ग्रहण साधारण है [ अर्थात् अवग्रह ज्ञान व्यञ्जन और अव्यञ्जन- व्यक्त और अव्यक्त दोनों पदार्थों के होता है । ] प्रश्न - अर्थावग्रह और व्यञ्जनावग्रह इन दोनों में किस कारण से भेदविशेष है ? उत्तर— व्यक्त और अव्यक्त रूप भेद है, जैसे नवीन सकोरा को गीला करने में व्यक्त और अव्यक्त कृत भेद होता है, जिसतरह दो तीन जल कणों द्वारा सींचा गया
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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