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________________ पर्यायों के भेदों का चार्ट नं. १ ३३८ ] स्वभाव पर्याय विभाव पर्याय छहों द्रव्यों में जीव और पुद्गलों में द्रव्य पर्याय गुण पर्याय स्व. द्रव्य प. वि. द्रव्य प. स्व. गुरण प. वि. गुण प. . प्रशुद्ध जीव की नर नारकादि पर्याय तथा पुद्गल द्रव्य की शब्द प्रादि स्कंध एवं वर्गणादि क्रमशः जीव तथा पुद्गल की विभाव द्रव्य पर्याय है। शुद्ध छहों द्रव्यों के शुद्ध गुणों को पर्याय जैसे शुद्ध जीव की केवल ज्ञानादि तथा पुद्गल परमाणु के रूपादि गुणों का परिणमन धर्म, अधर्म, आकाश मौर काल द्रव्यों के प्रदेश अपने-अपने स्वभाव रूप से स्थित हैं वह उस उस द्रव्य की स्वभाव द्रव्य पर्याय है। सिद्ध जीव अपने असंख्य प्रदेशों में स्थित हैं तथा पृद्गल का परमाणु एक प्रदेश में स्थित है यह क्रमशः शुद्ध जीव तथा पुद्गल की स्वभाव द्रव्य पर्याय कहलाती है। अशुद्ध जीवकी मति ज्ञानादि पर्याय तथा पुद्गल की स्कंध के रूपादि गुणों की पर्यायें। सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्ती अथवा समान जातीय द्रव्य पर्याय असमान जातीय द्रव्य पर्याय यह केवल पुद्गल द्रव्य में है जीव और पुद्गल वर्गणा कर्म परमाणु और स्कन्ध का अथवा नोकर्म की मिली पर्याय नरस्कन्ध स्कन्ध का अयवा परमाणु नारकादि यह केवल जीव पुदगल परमाणु का परस्पर में मिलकर की मिली पर्याय है। पर्याय होना। [ शेष चार्ट प्रागे देखिये ]
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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