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* श्री शांतिवीरशिवधर्मसागराचार्याभ्यां नमः * बाल ब्रह्मचारी, अभीक्ष्णज्ञानोपयोगी, परमपूज्य श्री १०८ आचार्य श्री अजितसागरजी महाराज
काव्याण्यलंकृति समन्वित पिंगलानि सिद्धांत व्याकरण नीति सुभाषितानि । शास्त्राण्यधीत्य निपुरणः परपाठने तं भक्त्या नमाम्यजितसागर सूरिवर्यम् ॥१॥