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मध्यमस्याद्वादरहस्ये खण्ड: 3
विषय
नव्यदीपप्रकाशनम्
नोटेवरथेन प्रतिबन्धकता में गौरव अनवकाय प्रतिबन्धकतागांरवस्याऽविरोधितम् सामानाधिकरण्यस्यान्याप्यवृत्तिता समानाधिकरण्पारणत्र नागभावहेतुतामन व्याप्यवृनंरवच्छेदकत्वे मानाभावः
सामानाधिकरण्य अपायत्ति नहीं है अन्नम्भमतप्रतिक्षेपः
अव्याप्यवृतिचाक्षुषकारणताविचारः अपापवृत्तिरूपपक्ष और चित्ररूपपक्ष में तुल्य
कार्यकारणभाव
वाय चित्ररूपपरिहार:
नीलकण्ठमतावेदनम्
अत्पापवृतिकामत में दीपान
व्याप्यवृत्ति नीलपीतादिरूपवादी अपन
अपरमता अवग्गजांनम
नाव में पीतवात्रआपत्ति का निराम
भाग्यवृच्वाधारता साचिक
व्याप्यवृतिनानारूपवादी
'मुच्छ पाण्डुर' इत्यत्र समम्यर्थविचारः
रामभट्टमनप्रकाशनम्
स्वावादकल्वलनासंवादः
भेदाभेद अन्योन्यव्यात है
गृहं रामतनिरासः
उसे सन्त्रास का समावेश
स्याद्वाटम अरीसंवादः
फरणाकणईरुण सिद्धिविना
एकत्र करणा करणां भयसमावेशः
एकान्तवाद में करणाकरणस्वभाव की अनुपपनि
धर्मधर्मिभावविचार
नागार्जुनमतनिराकरणम् संवृत्तित्रैविध्यप्रदर्शनम्
शशशुङ्गभानमीमांसा
वासना की अनुपपति आवश्यक नियुक्तिवचनविचारः
नृत्याधारानीकार
लिरूप में पी६०५
उसन्यानिनिगकरण
विशेषावश्यकभाष्यसंत्राट:
पृष्ट
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रामगृहस्थ समभी
सांगतसिद्धान्तसमीक्षा
धर्मधर्मिभावविचार में बौद्धमण्डन
धर्मधर्मित्वमीमांसान्तर्गतादिदर्शन निराकरण
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६.१८
६५८
६१८
विषय
समवायनिगमं तत्त्वार्थमूत्रसंवादः
अत्यन्तभिन्न पदार्थों में अनुगत एक सामान्य नहीं है 522 अत्यन्तमित्रे समानपरिणामाभावाऽनम
अमृतस्वभाववृत्ति मृत्यमानपरिणामात्मक ही ह अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिकासंवादः
स्थास कांदा आदि में पान का निरास स्याद्वादम अरीमंत्राद:
दर्शन और ज्ञान में जीवस्वभाव मे विषयप्राधान्यनियमन ज्ञान-दर्शन विशेष मामान्यग्राहकत्वविचार:
उपसर्जन के सम्यग निषेचन की अनुपनि शंका नव्यमते दर्शनलक्षणप्रदर्शनम उन्मिलितरुवग्राहकनर्यात्रिषयत्व मुख्यत्व नहीं हो सकता
माधनताज्ञानप्रवृत्यो कार्यकारणभावः
5:
प्रतिनिपतप्रवृत्तिनियमन के प्रमोद का परिहार नाम से ६२९ अतद्व्यावृति सामान्य नहीं है
वस्तुनः सामान्यविशेषोभयात्मकता
केवलसंवेदने नयव्यापाराऽसम्भवः वादिदेवसूरिवचनतात्पर्याविष्करणम उपसर्जनत्व का सम्यग निवनंत आवश्यकदीपिकासंवादः
अर्थ एकान्ततः शब्दायाच्य हे वॉल अगत्पदार्थबोधविमर्शः
श्रद्धमत में मच्छ से प्रतिनियन प्रवृत्ति की अनुप सुगतसम्मतविकल्पितार्थविलयः
अर्थ में एकीकरण नामुमकिन
शब्द और अर्थ के बीच रास्तविक सम्बन्ध मुमकिन बृहत्कल्पभाष्यसंवादः
त्रिपुराणंवसंवादः
तार्थसम्बन्ध नहीं की गकता
१० कारिका
शक्ति सङ्केतभेदोपदर्शने भापारहस्यवृत्तिसंवादः अनेकान्त में सांख्यसम्मति साङ्ख्यकारिकासंवादः ४४ वीं कारिका का सामान्य अर्थ तत्त्वार्थ लोकवार्तिकार्तिदेशः
भूतचतुष्क से अन्य आत्मा नहीं है मीमांसा पार्तिकसंवादः
ममवाप से ज्ञान का कारण शरीर शरीरकारणतावादसंवादः
ज्ञानाग्रचाक्षुपसङ्गतिः
जानादि चक्षुआदि के अयोग्य है अवयस्यनङ्गीकारोऽभिनवनास्तिकर्मत अनुमतिय मानवत्या
नयनास्तिक
नव्यनास्तिक
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नूनन चात्रांक
पृ
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ረ ६.३८.
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