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________________ रक्तञकाजागृत प्रवचनसाहित्य ६५ & धर्म और संस्कृति उदात्त चिन्तन से भरपूर तथा राष्ट्रभक्ति को जगाने वाला यह प्रवचन है। प्रवचनकर्त्ता परम पूज्य प्रखरक्क्ता मुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज हैं । सहयोग राशि :- ५ रुपये 8 कैद में फँसी है आत्मा परम पूज्य आगमनिष्ठ मुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज का यह मंगल प्रवचन है। इसमें चतुर्गति के दुःखों का भावप्रवण वर्णन है। परिशिष्ट के रूप में आगम की महान जानकारियाँ दी गई है । सहयोग राशि :- ६ रुपये • ए बे - लगाम के घोड़े सावधान : परम पूज्य मुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज के द्वारा लिखित ३२ पत्र इस महाकृति में हैं । जिसने भी इस कृति को अबतक पढ़ा, उसने एक ही बात कही कि तुमसा नहीं देखा । सहयोग राशि :- ७५ रुपये ● स्मरणशक्ति का विकास कैसे करें ? परम पूज्य अचिन्त्य प्रज्ञाशक्ति युवामुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज की कालजयी कृति है । स्मरणशक्ति का विकास कैसे किया जाय ? इस विषय पर आयुर्वेद, मन्त्र, ध्यान, आसन, मुद्रा, एक्युप्रेशर, प्राकृतिक चिकित्सा, होमियोपैथी, चुम्बक चिकित्सा, आहारविज्ञान आदि के माध्यम से स्पष्ट किया है। स्मरणशक्ति के प्रकार विस्मरण के कारण और याद करने की विधि को इस कृति में अच्छी तरह स्पष्ट किया गया है। सहयोग राशि : १० रुपये @naganadaan 90000000 4080489aon
SR No.090486
Book TitleSwatantravachanamrutam
Original Sutra AuthorKanaksen Acharya
AuthorSuvidhisagar Maharaj
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year2003
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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