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________________ विषय सूची २५ १२ सुगन्धदशमी प्रतके उद्यापनकी विधि-१६ सुगन्धदशमी प्रत पालन विधि। -१५ सन्धि --२ राजा व नगरवासियों तथा दुर्गन्धाद्वारा व्रतका पालन । इस पुण्यके प्रभावसे दुर्गन्धाका राजा कनकप्रभ-द्वारा शासित रमपुरके सेठ जिनदत्तकी पुत्री तिलकमतीके रूप में पुनर्जन्म । उसका सुन्दर और सुगन्ध युक्त शरीर | माता जिनदत्ताकी मृत्यु व सेठका दूसरा विवाह और पुत्री तेजमती। सेठका द्वीपान्तरसे आगमन; विवाहके वृत्तान्तका पत्नीके मुखसे श्रवण, तथा उन आभूषणों को राजाके पहचान कर राजाको निवेदन । राजा-द्वारा चोरका पता लगानेका आदेश । पुत्रीसे सब बातें जानकर सेठका राजाको पुनः निवेदन । राजा-द्वारा सेठके घर भोजका आयोजन। सौतेली माँका अपनी पुत्रीका पक्षपान और तिलकमतीसे दुर्व्यवहार ! सेठका रत्न खरीदने विदेश गमन व सेठानीको पुत्रियों के विवाहका आदेश। तिलकमती. का विवाहकी रात्रिको श्मशान प्रेषण और उसके स्थानपर तेजमतीका विवाह । राजा कनकप्रभा श्मशानमें जाकर तिलकमतीसे विवाह । -१६ तिलकमतीद्वारा आँखोंपर पट्टी बाँधकर भी पैर धुलानेके मिषसे चरण-स्पर्श-द्वारा पतिकी पहचान । राजा-द्वारा स्वयं समर्थन, आनन्द, उत्साह और विवाह । तिलकमतोका रानीफे रूप में वैभव, अन्समें संन्यास-द्वारा मरण; व स्त्रीलिंग छेवकर ईशान स्वर्गमें देवोत्पत्ति । –२५ प्रातः महिषीपाल के रूपमें अपना परिचय तथा प्रतिदिन रात्रिमें मिलनका आश्वासन देकर राजाका प्रस्थान | सेठानीद्वारा उसकी खोज व लोक प्रपंच । सन्ध्याको राजाका वस्त्राभरण लेकर तिलकमतीके पास आगमन। -२० जिनेन्द्रका श्रेणिकको सम्बोधन व सुगन्ध दशी व्रतके प्रभावका वर्णन। –२६ सुगन्धदामी व्रत पालनका भावना-सहित कथा-पाट करनेका, व्याख्यानका, सुनने तथा श्रद्धान करने ब सीखनेका सुफल । ग्रन्थकारका आत्म-निवेदन। .-२८ उसे सुसज्जित देख माताका कोप, व उनका परिहरण ।
SR No.090481
Book TitleSugandhdashmi Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1966
Total Pages185
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Biography
File Size5 MB
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