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पृष्ठभूमि में सन्मार्ग दिवाकर आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज सूर्य के समान देदीप्यमान हैं । उनके स्नेहाशीप से जिनवाणी प्रकाशन द्वारा अपूर्व धर्मप्रभावना हो रही है। मेरा पूज्य साधृजनों के चरणों में बारंबार नमोऽस्तु ।
ग्रन्थ के सुन्दर प्रकाशन हेतु महावीर प्रेस के मालिक श्री बाबूलाल जैन फागुल्ल को बधाई। २८ नबम्बर १९९१ ई.
रमेशचन्द्र जैन