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________________ सिद्धान्तसार दोपक . सातों नरकों के प्रत्येक पटल की धर्मा पृथियो मा पृथिबो पटल संख्या जपन्य प्रायु उत्कृष्ट मायु पटल संख्या जघन्यायु | उत्कृष्ट १ सागर : ११ सागर १३२ सायर ११ सागर ३ | १ सागर | १०००० (दश ह.) वर्ष । ९०००० (९० हजार) वर्ष | २ | ९०००० (९० इ०) वर्ष ९०००००० (९० लाभ) वर्ष | ९००००.० (९० लाख) वर्ष । असंख्यात पूर्व कोटियाँ असंख्यात पूर्व कोटियाँ एक कोटाकोटी पल्प (सागर) एक कोटाकोटी पल्य दो कोटाकोटी पल्य (सागर) दो कोटाकोटी पल्य तीन कोटाकोटी पत्य (१३. सागर) तीन कोटाकोटी पत्य चार कोटाकोटी पल्य (१ सानर) चार कोटाकोटी पल्य बाधा (1) सागर प्राधा सागर श्रा कोटा कोटी पल्य (सा) छह कोटाकोटी पल्य सात कोटाकोटो पस्य (सा०) सात कोटाकोटी पल्य पाठ कोटाकोटी पल्य (३ सा०) ग्राठ कोटाकोटी पल्प नौ कोटाकोटी पल्प ( मात) १३ । नौ कोठाकोटी पत्य एक गागरोपम २१ सागर २३९ सागर सागर २१ सागर ९ । २१ सागर २ सागर १० | २१ सागर २१ सागर | ११ | २५१ सामर ३ सागर
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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