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________________ ५४४ ] सिद्धान्तसार दीपक क्रमांक वल्लभानों का प्रमाण उत्सेध _देवांगनाओं के गृहों का | लम्बाई चौड़ाई मोजमों में मीलों में योजनों में मोनों में योजनों । सौधमशानेन्द्र ३२००० सानत्कु०-माहेन्द्र २००० सांतवेन्द्र ५०० शुक्रन्द्र शवारेन्द्र १२५ | २५० | २००० | २०० । १६०० मानतादि ४ इन्द्रों की अब प्रत्येक इन्द्र की पाठ-पाठ महादेवांगनानों के नाम कह कर उनकी विक्रियागत देवांगनानों का और परिवार देवांगनाओं का प्रमाण दिखाते हैं: सप्तस्थानेषु सर्वेषामिन्द्राणां दिव्यमूर्तयः । प्रत्येक स्युमंहादेव्योऽष्टौ विश्वाक्षसुखप्रदाः ।।१६४।। शची पमा शिवा श्यामा कालियो सुलसार्जुना। भानेति दक्षिणेन्द्राणां देवीनामानि सर्वतः ॥१६॥ श्रीमती संजिका रामा सुसीमा विजयावती । जयसेना सुषेणारया सुमित्राय वसुन्धरा ॥१६६।। सर्वत्रवोत्तरेन्द्राणां देवोनामान्यमून्यपि । एकेका च महादेवी विक्रियषि प्रभावतः ॥१६७॥ विना मूलशरीरं चाघे युग्मे विकरोत्यपि । स्वसमानि सहस्रारिग बिक्रियाङ्गानि षोडश ॥१६॥
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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