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________________ पंचदशोऽधिकारः [५२७ मन्दर, अशोक और सप्तपर्ण नाम के धार चार विमार है . दक्षिणेतरेन्द्रों को नागों की व्यवस्था क्रमशः अच्युत कल्प पर्यत जानना चाहिए ।।११६-११७।। अब विमानों के तल बाहुल्य (मोटाई) का निरूपण करते हैं: षट् युग्मशेषकल्पेषु प्रधेयकत्रिक त्रिषु । शेषेषु च विमानानां तलबाहुल्यमुच्यते ॥११८।। योजनान्येकविंशाग्नशतान्येकावशक्रमात् । ततो नवनवत्या होनान्युपर्यु परिस्फुटम् ॥११६।। अर्थ:-सौधर्मादि छह कल्पों में, अवशेष पानतादि चार कल्पों में, अधो आदि तीन-तीन अंबेयकों में तथा अन्य शेष अनुदिशों प्रादि में स्थित विमानों का तल बाहुल्य कहते हैं ॥११॥ सौधर्म स्वर्ग स्थित विमानों का तल बाहुल्य ११२१ योजन प्रमाण है, इसके बाद ऊपर-ऊपर क्रमश: EL, CE योजन हीन होता गया है ।।११।। अस्य विशेषव्याख्यानमाहा---- सौधर्मशानयोविमानानां तलबाहुल्यं योजनानामेकविंशत्यधिकैकादशशतानि । सनत्कुमारमाहेन्द्रयोश्च द्वाविंशाग्रदशशतानि । ब्रह्मब्रह्मोत्तरयोस्त्रयो विशाग्रनवशतानि | लान्तवका पिष्टयोश्चतुविशत्यधिकाष्टयोजनशतानि । शुक्रमहाशुक्रयोः पञ्चविंशत्य प्रसप्तशतानि । शतारसहस्रारयोः षड्विशतियुतषट्शतानि । पानतप्राणतारणाच्युसानां विमानानामधस्तलबाहुल्यं सप्तविंशस्यग्रपञ्चशतयोजनानि । अधोग्रंवेयक त्रिषु विमानानां तलपिण्डबाहुल्यं योजनानामष्टाविंशत्यधिकचतुः शतानि । मध्यवेयक त्रिषु एकोनत्रिशदधिकत्रिशतानि च । ऊर्ध्वग्रेवेयक त्रिषु त्रिशद द्वे शते । भवानुदिशपञ्चानुत्तरयोविमानानां तलस्थूलता एक विशद प्रशतयोजनानि । अर्थः-उसी बाहुल्य का विशेष कथन करते हैं:-सौधर्मशान स्वर्ग स्थित विमानों के तल भागों की मोटाई ११२१ योजन, सानत्कुमार-माहेन्द्र स्थित विमानों के सल की मोटाई १०२२ योजन ब्रह्मब्रह्मोत्तर की १२३ योजन, लान्तव-कापिष्ट की ८२४ योजन, शुक्र-महाशुक्र की ७२५ योजन, शतार-सहस्रार की ६२६ योजन, आनत-प्राणत-पारण और अच्युत स्वर्गों की ५२७ योजन, तीन प्रधो वेयक स्थित विमानों की तल मोटाई ४२८ योजन, तीन मध्य ग्रंवेयकों की ३२६ योजन, तीन ऊध्र्वग्रंवेयकों के विमानों की तल मोटाई २३० योजन तथा नव अनुदिशों एवं पचोत्तर स्वर्ग स्थित विमानों के तल भागों को मोटाई १३१ योजन प्रमाण है।
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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