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________________ सिद्धान्तसार दीपक मुक्त्वातोयोजनत्रीणि शुक्राणां स्युर्विमानकाः । त्यक्त्वाथ योजनत्रीणि बृहस्पतिविमानकाः ॥७॥ मुक्त्वानु योजनत्रीणि मङ्गलानो विमामकाः । त्यक्त्वातो योजनत्रीणि शनैश्चरविमानकाः ।।८।। ज्योतिः पटलबाहुल्यमित्थं दशोतरं शतम् । योजनानां भवेत्सर्व विमानव्याप्तखाङ्गणे ॥६॥ चित्रामहीतलायोजनानां नवशतान्तरे । सर्वज्योतिष्कदेवानां विद्यन्ते हि विमानकाः ॥१०॥ अर्थः-चित्रा पृथ्वी से ७६० योजन ऊपर जाकर आकाश में तारात्रों के विमान हैं ।। ३॥ नभ में गणशयोजन अपरय शाश्वत विमान है, इनसे ८० योजन ऊपर प्राकाश में चन्द्र विमान है। चन्द्र से धार योजन ऊपर मात्र विमान, इससे पार योजन ऊपर बुष विमान, इससे ३ योजन ऊपर शुक्र विमान, इससे तीन योजन ऊपर गुरु विमान, इससे तीन योजन ऊपर मंगल विमान और मंगल से तीन योजन ऊपर शनि का विमान है ।। ४-८॥ इस प्रकार ज्योतिर्पटल के सर्व विमान आकाश में पिण्ड रूप से ११० योजन क्षेत्र को व्याप्त करके रहते हैं ॥६॥ समस्त ज्योतिषी देव चित्रा पृथ्वी के तल से (७९० योजन को ऊँचाई से प्रारम्भ कर ) ६०० योजन (७६०+११०-१००) की ऊंचाई तक स्थित हैं ।।१०॥ चित्रा पृथ्वी से ज्योतिबिम्बों की ऊँचाई को तालिका :-- क्रम | ज्योतिबिम्बों के नाम ! मीलों में ऊँचाई तारागण सय चन्द्र नक्षत्र पृथ्वी से योजनों में ऊँचाई चित्रा पृथ्वी से ७६० योजन ऊपर ७६०+१०-८०० ॥ ॥ ८००+१०८८८० ८८०+४ =८८४ " " ८८४+४ 2015 ८८८+३ =५६१ ८६१+३=५९४ ८९४+३=५७ ८६७+ ३०९.. बुध शुक्र ३१६०००० मील ऊपर ३२००००० , , ३५२०००० , , ३५३६००० , ३५५२००० ३५६४००० ३५७६००० , ३५८५००० , . .३६०००००,
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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