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________________ { ४५ ] पंक्ति अशुद्ध और १४४७१११ शुद्ध और पूर्व १४४७१ १८ यो० कोस ३ उत्तरभरत १हिमवन् तालिका, श्रीदेवी १७३ यो० व्याप्त १०४ ११२ १२५ १२६ १४७ १५१ कोस व्यास गंगानदियों शालामुलक पंक्त्यः विषयाशक्त बादियों २१ १७२ १७२ १७७ १७६ आदि को सद्धहस्ता छोटा चैत्यालयों कुटों का निहार बाह्य परिषद शोभायमान उन्नत चतुःषष्ठि गंगादिनदियों शालाढालकपंक्त्यः विषयासक्त वादित्रों २०००० को प्रादि सद्धस्ता छोटी चैत्यालयों को कट की नीहार बाह्यपारिषद शोभायमान चतुःषष्टि १६३ २०० २०२ नाम के नाम को २२१ २२२ २३१ २३५ प्रदेश परांति की क्रमशः ततोत्पर विरहन्ति विभाडाख्या के ज्ञान २४८ प्रबेश पराडिन की ऊंचाई क्रमशः ततोऽपर विहरन्ति विभङ्गाख्या को ज्ञान वृद्धि सहस्रसंख्यया २५२ बुद्धि २६६ २७५ सहस्रसंखयया
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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