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शुद्धि-पत्र
अशुद्ध सममघापि कारणों (पड़त) आत्मक प्राकार तमिधः पथ्वियों क्रोशार्धाधिक मघा व्यास क्षेत्र
मघवी पृथ्वी
वाला
सममद्यापि करणों (पडतात्मक) पाकर तमिस्रः पृश्वियों क्रोशार्धाधिक मेघा व्यात क्षेत्र २०॥ वाली भवप्रत्यय स्तद्विहान्य शिवाय बह्वचः उद्यत होते भाड़ भर्त्सना स्वयमागत्य तीतोष्णा ...म्ब रात
भवप्रयय स्तविहान्य शिवाप्त्य
बह्वयः
उद्धत
हाते
भार मत्स्ना स्वयमागत्यतीवोष्णा. --"5बरात् ततो २१०५२६३१
१४
ततो
तालिका/भरत
२१०५२६३