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________________ पृष्ठ सं० ५२१ [ ४१ ] क्रम सं० पृष्ठ सं० | क्रम सं० १० ऋतु इन्द्रक की अवस्थिति एवं इन्द्रों के |३१ दक्षिणेन्द्र और उत्तरेन्द्र के अनीक नायकों स्वामित्व की सीमा के नाम ५३५ ११ इन्द्रक विमानों का प्रमाण ५११ | ३२ नव स्थानों में तीनों परिषदों का पृथक १२ श्रेणीबद्ध विमानों के प्रवस्थान का पृथक् प्रमाए स्वरूप ५१३ | ३३ वनों के नाम तथा उनका प्रमाण, त्य१३ प्रकीरगंक विमानों का स्वरूप और स्वरूप ५४० अवस्थान ५१४ | ३४ लोकपालों के नाम, उनके नगरों का १४ इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमानों | स्वरूप एवं प्रमाण ५४० __ के प्रमाण का कथन ५१७ ३५ गणिका महत्तरियों के नाम एवं उनके १५ विमानों के प्राधार स्थान का निरूपण ५२० प्रावासों के प्रमाण ५४१ १६ स्वर्गस्थ विमानों का वर्ण । ५२० ३६ इन्द्रों की वल्लभानोंका प्रमाण एवं उनके १९७ प्रथम इन्द्र कके एक दिशा संबंधी श्रेणी प्रासादों की ऊँचाई आदि का प्रमाण ५४२ बद्ध विमानों का प्रवस्थान ३७ प्रत्येक इन्द्र की आठ-पाठ महादेवियां १८ दक्षिणेन्द्र और उत्तरेन्द्र के विमानों का उनकी बिक्रियागत देवांगनाएँ व विभाग ५४४ परिवार देवांगनाएँ ५२२ १६ इन्द्र स्थित थेगीबई विमानों का कथन ५२३ ! ३८ समस्त महादेवियोंके प्रासादों की ऊँचाई २० सौधर्मादि देवोंके मुकुट चिह्न आदि का प्रमाण ५४६ ३६ इन्द्र के पास्थान मण्डप का अबस्थान २१ इन्द्रों के वाहनों का निरूपरण एवं प्रमाण ५४७ २२ प्रमुख विमानों की चारों दिशाओं में स्थितविमानोंके नामों का निरूपण । ५२६ ४० प्रास्थान भण्डप के द्वार, उनका प्रमाण एवं इन्द्र के सिंहासन का अवस्थान ५४५ २३ विमानों के तल बाहुल्य का निरूपण ५२७ ४१ महादेवियों के, लोकपालों के और अन्य २४ सौधर्मादि इन्द्रों के नगरों का विस्तार ५२८ । देवों के सिंहासनों का अबस्थान ५४८ २५ नगरों के प्राकारों की ऊँचाई ५२६ | ४२ प्रास्थान मण्डप के पागे स्थित मान२६ प्राकारा का नाब भार व्यासका प्रमाण १२६ । स्तम्भ का स्वरूप व प्रमाण ५४६ २७ सौधर्मादि बारह स्थानों में ग्रहोंको स्थिति ५३१ | ४३ इन्द्रों की उत्पत्ति गृह का अवस्थान ५५२ २८ इन्द्र के नगर सम्बन्धी प्राकारों की संख्या ४४ कल्पवासी देवांगमानों के उत्पत्तिस्थान ५५२ और उनके पारस्परिक अंतरका प्रमाण ५३३ ४५ कल्पवासी देवों के प्रवीचार का कथन ५५३ २६ कोटों के अन्तरालोंमें स्थित देवों के भेद ५३४ | | ४६ वैमानिक देवों के अवधिज्ञान का विषय, ३० सामानिक, तनुरक्षक और अनीक देवों क्षेत्र एवं विक्रिया शक्ति में प्रमाण का का प्रमाण कथन ५२५
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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