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________________ क्रम सं० ६ सूर्यचन्द्र ग्रादि ग्रहों की किरणों का प्रमाण [ ४० ] पृष्ठ सं० ४७७ ૪૨ ४८२ ७ तारागणों का ति मन्तर, चन्द्र सूर्य ग्रहण का कारण एवं चन्द्रकलायों में हानि - वृद्धि का कारण चन्द्रादिक ज्योतिषी देवों के विमान वाहक देवों का श्राकार और संख्या ६ मनुष्यलोक में स्थित चन्द्र-सूर्यो की संख्या ४८१ १० एक चन्द्र के परिवार का निरूपण ११ जम्बूद्वीपस्थ भरतादि क्षेत्रों और कुचलों की ताराओं का विभाजन १२ श्रढ़ाई द्वीपस्थ प्रत्येक द्वीप के ज्योतिविमानों की पृथक् पृथक् संख्या १३ चन्द्रमा के अवशेष परिवार देवोंके नाम नृलोक में ज्योतिर्देवोंका गमन क्रम और मानुषोत्तर के आगे ज्योतिर्देवों की श्रवस्थिति २१ प्रत्येक नक्षत्र के तारायों की संख्या तथा परिवार ताराओं का प्रमाण प्राप्त करने की विधि ४७८ ४८२ ४५४ ४८३ १४ मनुष्यलोक की ध्रुवताराओंका प्रमाण ४८६ १५ मेरुसे ज्योतिष्क देवोंकी दूरी का प्रभाररा उनके गमन का क्रम, एक सूर्य से दूसरे सूर्य का एवं सूर्य से वेदी के अन्तर का प्रभारण ४८६ ४९१ १६ मानुषोत्तर पर्वत के बाह्यभाग में सूर्यचंद्र प्रादि ग्रहों के अवस्थानका निर्धारण ४८८ १७ प्रत्येक द्वीप समुद्र में वलयों का प्रमाण १० सूर्यचन्द्रक चार क्षेत्रोंका प्रमाण, उनका विभाग एवं उनकी वोथियों का प्रमाण ४६१ १९ सूर्य चन्द्र के गमन का प्रकार ४६४ २० अट्ठाईस नक्षत्रों के नाम ४६५ ४६५ क्रम सं० २२ जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट नक्षत्रों के नाम व संख्या २३ ताराओं के प्राकार विशेष २४ ज्योतिषो देवों की उत्कृष्ट और जघन्य प्रायु २५ सूर्यचन्द्र को पट्ट देवियां, परिवार देवियां एवं उनकी श्रायु का प्रभारण पृष्ठ सं० २६ ज्योतिष्क देवोंके श्रवधिक्षेत्र और भवनत्रिक देवों के गमनक्षेत्र का कथन २७ ज्योतिष्क देवों के शरीर का उत्सेध, निःकृष्ट देवों की देवांगनाओं का प्रमाण प्रोर भवनत्रय में जन्म लेनेवाले जीवों का श्राचरण २८ करणानुयोग के शास्त्रों के अध्ययन की प्रेरणा २६ अधिकारान्त मंगलाचरण पञ्चदश अधिकार / ऊर्ध्वलोक वर्णन १ मंगलाचरण २ सोलह स्वर्गों के नाम और उनका श्रवस्थान ३ इन्द्रों का प्रमाण ४ इन्द्रों के नाम और उनकी दक्षिणेन्द्र संज्ञा का विवेचन ४६७ ૪૨૭ ૪£ ૪૨T ५०० ५०१ ५०१ ५०२ ५०३ ५०३ ५०४ ५०४ ५ कल्प-कल्पातीत विमानों का और सिद्धशिला का अवस्थान ६ मेरुतल से कल्प और कल्पातीत विमानों का प्रवस्थान ५०५ ७ पटलों का प्रमाण ५०६ ८ सौधर्मादि स्वर्गो के विमानों का प्रमाण ५०७ ६ सोलह स्वर्गी के इन्द्रक विमानों के नाम ५०८ ५०४ 1
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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