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________________ पृष्ठ 4 ३२१ ३२३ [ ३५ ] क्रम सं० पृष्ठ सं० | क्रम सं. ३३ प्रतिवासुदेवों की प्राय और गति प्रमाण व उन पर स्थित जिनप्रतिमानों ३४ रुद्रों के नाम, उत्सेध एवं प्रायु ३०१ का निरूपण ३२१ ३५ रुद्रों का वर्तनाकाल ५ गोपुरद्वारों के अधिनायक व नगरों का ३६ रुद्रों द्वारा प्राप्त नरकगतिके मूल कारण ३०४ वर्णन ३७ नव नारदों का वर्णन ६ चारों द्वारों का मन्तर व बाह्याभ्यन्तर ३०५ स्थित बनों का निरूपण ३८ पंचम काल का वर्णन ७ लबण समुद्र को अवस्थिति व स्वामी ३२३ ३६ शक राजा तथा अपय पाली ८ लवणसमुदान्तर्गत पातालों के नाम, ४० प्रथम कल्की एवं उसके पुत्र के कार्य ३०६ | । उनका प्रवस्थान व संख्या ४१ अंतिम कल्की का स्वरूप एवं कार्य ३०७ १ पातालों का अवगाह ४२ अतिदुःखमा काल का दिग्दर्शन १० पातालोंके अभ्यन्तरवर्ती जल और वायु ४३ दुर्वष्टियोंके नाम एवं फल ३१० __ के प्रवर्तन का क्रम ४४ उत्सपिणी कालके प्रथम कालका वर्णन ३११ | ११ अमावस्या एवं पूर्णिमा को हानिवृद्धि४५ ॥ ॥ द्वितीय दुखमा कालका रूप होनेवाले जल के भूव्यास प्रादि का ___ वर्णन प्रमाण ३२६ ४६ तृतीय कालकी स्थिति एवं २४ तीर्थकर ३१३ | १२ पातालोंके पारस्परिक अन्तरका प्रमाण ३२७ ४७ आगामी १२ चक्रवर्ती ३१४ | १३ लवणसमुद्र के प्रतिपालक नागकुमार ४८ भविष्यत् काल के बलभद्र, वासुदेव, | आदि देवों के विमानों की संख्या ३२६ प्रतिबासुदेव ३१५ | १४ बत्तीस पर्वतों के नाम, प्रमाण एवं ४६ अबशेष तीन कालोंमें भोगभूमिकी रचना ३१६] प्रकार का निरूपण ५० काल और अन्य क्षेत्र ३१६ | १५ पर्वतों पर स्थित द्वीपों का व पर्वत के ५१ कालचक्र के परिभ्रमण से टूटनेका उपाय ३१८ स्वामियों का कथन ३३१ ५२ अधिकारान्त मंगलाचरण | १६ वायव्य दिशा स्थित गोतम द्वीप का विस्तृत वर्णन दशम अधिकार १७ २४ अन्तरद्वीपों का विस्तृत वर्णन ३३२ (मध्यलोक वर्णन) १८ कुभोगभूमिज मनुष्यों की प्राकृति, प्रायु, १ मङ्गलाचरण एवं प्रतिज्ञा वर्ण, प्राहार व उनके रहने के स्थान २ जम्बुद्वीप की परिधि और प्राकार का प्रादि का वर्णन परिमाण ३२. | १६ कुभोगभूमिमें कौन जीव उत्पन्न होते हैं ? ३३५ ३ प्राकार स्थित वेदिका का निरूपण ३२० | २० लवण समुद्र के अन्य चौबीस द्वीप ४ चारों दिशानों में स्थित द्वारों के नाम, | २१ कालोदधि समुद्र के २४ द्वीप ३२६
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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