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________________ पृष्ठ सं० ३४१॥ [ ३६ ] क्रम सं० पृष्ट सं० ! क्रम सं० २२ लवरणसमुद्र का अवगाह और उसकी ४० पश्चिम धातकी खण्ड की व्यवस्था ३५३ सूक्ष्मपरिधि का प्रमाण ३३७ | ४१ धातकीखण्डस्थ यमगिरि आदि पवंतों २३ घातकोखण्डस्थ मेरुपर्वतों का प्रवस्थान ३३६ | की संख्या ३५३ २४ धातकी वण्डके पर्वत अवरुद्ध क्षेत्र का | ४२ धातकीखंडस्थ भोगभूमियों. कर्मभूमियों, प्रमाण पर्वतों, नदियों एवं ब्रहादिकों की संख्या २५ धातकी खण्डस्थित क्षेत्रों एवं पर्वतों का व अधिपति देव ३५४ विष्कम्भ ३४१ | ४३ कालोदधि समुद्रका विस्तृत वर्णन ३५५ २६ हृद, कुण्ठ और नदियोंके विस्तार का ४४ पुष्कर द्वीप का विस्तृत वर्णन निरूपण ४५ पुष्करार्धद्वीप का सूचो व्यास, परिधि २७ छातकी खण्डस्थ सरोवरों का व्यास ३४४ और पर्वत अवरुद्ध क्षेत्र का प्रमाण ३५७ २८ , , कुण्डों का व्यास ४६ पुष्कराधं स्थित १२ कुलाचलोंके व्यास २६ . गंगादि नदियों का प्रादि का प्रमाण ३५८ पर्वतों पर ऋजु प्रवाह का प्रमाण ४७ पुष्करार्ध स्थित क्षेत्रोंका प्राकार व व्यास ३५६ ३० गंगा, सिन्धु आदि नदियों के निर्गम ४१ पुरुक राधं स्थित सरोवरों, नदियों, कुण्डों, स्थानों का व्यास | वनों व गजदन्तों का व्यास ३६१ ३१ घातकीखण्डस्थ पूर्वविदेह के मेरुपर्वत ४६ देवकुरु-उत्तरकुरु के बाण तथा उभय का प्रमाण विदेह, वक्षार पर्वत, विभंगा नदी और ३२ विजयमेरु पर्वत के सम्पूर्ण विष्कम्भ एवं देवारण्य-भूतारण्य के व्यास का प्रमाण ३६३ परिधियों का प्रमाण ३४६ | ५० वक्षार, देश, देवारण्य प्रादि वन तथा ३३ भद्रशाल बन, गजदन्त और देवकूरु विभंगा नदियों के पायाम व उसमें उत्तरकुरु का प्राथाम ३४६ हानि वृद्धि का प्रमाण ३४ धातकी वृक्षों को अवस्थिति, विदेहक्षेत्र ५१ पुष्करार्धस्थ समस्त विजयाओं के व्यास के विभाग व नाम ६४६ मादि का प्रमाण ३५ देशों के खण्ड एवं कच्छादि देशों का ५२ गंगादि क्षुल्लक नदियों के और कुण्डों विस्तार के व्यास का प्रमाण ३६ धातकी खण्ड विदेहस्थ वक्षार पर्वतों ५३ पुष्कराचंद्वीपस्थ वृक्ष, पर्वत, वेदी कुण्ड का मायाम और द्वीप के रक्षकदेव ३७ देवारण्य-भूतारण्य वनों का आयाम ३५१ | ५४ अढ़ाई द्वीपस्थ पर्वातों और नदियों की ३८ विभंगा नदियों का प्रायाम ३५१ एकत्र संख्या ३६ कुण्डों, विजया पर्वतों, गंगादि ६४ ५५ सभी विदेहस्थ प्रार्य खंडोंको विशेषताएँ ३६८ नदियों का विस्तार ३५२ | ५६ मानुषोत्तर पर्वत का विस्तृत वर्णन ३७० ३६४ 3XR ३६३
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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