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क्रम सं०
पृष्ठ सं० क्रम सं०
२७ चौंसठ कुण्डों का वर्णन
२१३
२८ विदेहस्थ रक्ता रक्तोदा का स्वरूप
२१३
२६ सीता सीतोदा के तोरण द्वारों का वर्णन २१४
३० श्रायंखण्ड और म्लेच्छ खण्ड
३१ क्षेमपुरी की प्रवस्थिति एवं प्रमाण
३२ राजाधिराजा के लक्षण
३३ चक्रवर्ती को दक्षिण दिग्विजय
३४ उत्तर दिग्विजय में विजयार्धकी गुफा से निस्तीर्ण होने का विधान
३७ वृषभाचल वर्णन
३८ चक्रवर्ती के नगर प्रवेश का क्रम
३५ मध्यम म्लेच्छखण्ड में चक्रवर्ती का प्रवेश एवं उस पर धाये हुए उपसर्ग
२२३
३६ चक्रवतीके मद एवं निमंद होनेका कारण २२४
२२४
२२५
३६ चक्रवर्ती ग्राम पुर और मटम्बों आदि का वर्णन
४० चक्रवर्ती के बल, रूप और वैभव का वर्णन
४१ चक्रवर्ती को नवनिधियों के नाम, कार्य एवं उनके आकार का वर्णन
४२ चक्रवर्ती के चौदह रत्नों के नाम और उनके उत्पत्ति स्थान
४३ चक्रवर्ती के अन्य भोग्य पदार्थ
४४ चक्रवर्ती के हथियारों एवं चौदह रत्नों के नाम
४५ चक्रवर्ती के भोज्य एवं पेय पदार्थ ४६ धर्म का फल
४७ धर्म प्रशंसा
२१५
२१६
२१८
२१६
अष्टम अधिकार (विदेह क्षेत्रस्थ देशों का वर्णन )
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२२६
२२७
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२३०
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१ मंगलाचरण
२ चित्रकूट नाम के प्रथम वक्षार पर्वत का वर्णन
३ वक्षार पर्वतस्य कूटों के नाम, स्थान श्री स्वामी
४ सुकच्छादेश और क्षेमपुरी का वर्णन
५ विभंगा नदी का निर्गम स्थान, परिवार नदियां
६ महाकच्छदेश स्थित अरिष्टानगरी ७ पद्मकूट वक्षार पर्वत की अवस्थिति ८ कच्छुकावती देश, द्रवती विभङ्गा, आवर्तदेश और नलिनकूट वक्षार की अवस्थिति
६ श्रागे के देशों, विभंगा नदी और वक्षार पर्वतों का कथन
१० देवारण्य वन का वर्णन
११ देवारण्यस्य प्रासादों का वर्णन
१२ देवारण्य का विस्तार
१३ अन्य वेदी, देश, वक्षार एवं विभंगा श्रादि की अवस्थिति
१४ पूर्व विदेह क्षेत्र के अवशेष देशों, पर्वतों एवं विभंगानदियों की प्रवस्थिति
१५ सुदर्शन मेरु पर्यंत देशों, वक्षारों एवं नदियों का अवस्थान
पृष्ठ सं
१६ पश्चिम विदेह गत देशों, वक्षारों एवं नदियों का अवस्थान
१७ पद्मावती देश के श्रागे अन्य २ देशों, विभंगानदियों एवं पर्वतोंकी अवस्थिति
१८ अवशेष देशों का प्रवस्थान
१६ पूर्वविदेहगत वक्षार पर्वतों आदि की अवस्थिति
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२३७
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