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________________ पृष्ठ सं० १६५ १६६ १६८ निर्देश १८३ [ ३२ ] क्रम सं० पृष्ठ सं० । क्रम सं० मङ्गलद्रव्यों का वर्णन १७८ । ५ भद्रशाल वनों एवं उत्तमभोगभूमियों गर्भगृह का वर्णन १७८ की अवस्थिति ध्वजारों, मुखमण्डपों और प्राकारों ६ उत्कृष्ट भोगभूमियों के धनुः पृष्ठ का का निर्धारण १७८ प्रमाण प्रेक्षागृहों एवं सभागृहों का वर्णन १७६ ७ देव कुरु उत्तरकुरु भोगभूमि की जोवा का प्रमाण १६६ नवस्तूप और मानस्तम्भ का वर्णन १८० ५ देवकुरु उत्तरकुरु भोगभूमियों के वारण चंत्यवृक्ष का वर्णन का प्रमाण 5वजापौठ, स्तम्भ, वापियों का | ६ भोगभूमि में उत्पन्न होने वाले जीवों का वर्णन १८१ वर्शन क्रीडाप्रासादों व तोरणों का वर्णन १५२ प्रासादों, ध्वजारों व वनखण्डों का १० जम्बूवृक्ष का स्यानादिक परिकर ११ परिवार वृक्षों की संख्या, प्रमाण एवं १५३ स्वामियों का निदर्शन ८ अन्य जिनालयों का वर्णन १२ शाल्मलि वृक्ष का बर्णन , देवों, विद्याधरों एवं अन्य भव्यों द्वारा १३ यमक गिरि का स्वरूप की जाने वाली भक्ति १४ विचित्र-चित्र नामक यमक पर्वतों का १० मध्यम जिनालयों का वर्णन १५५ विवेचन २०२ ११ जघन्यजिनालयों का वर्णन १५ सीता नदी स्थित पञ्चद्रहों का वर्णन २०२ १२ तीनों प्रकार के जिनालयों की अवस्थिति १६ सीतोदा नदी स्थित पंचद्रहों का वर्णन २०३ १३ अष्ट प्रातिहार्यो का कथन १८७ १७ अन्य दस ग्रहों को अवस्थिति २०४ १४ लोकस्थ समस्त प्रकृत्रिम चैत्यालयों १८ कमलों, उनके भवनों व नागकुमारियों को नमन । का वर्णन २०५ १५ अधिकारान्त मंगलाचरण १८८ | १६ काञ्चन पवंत का वर्णन २०६ सप्तम अधिकार । | २. दिग्गजपर्वतों का स्वरूप २०७ २०६ २१ विदेह नाम को सार्थकता देवकुरु, उत्तरकुरु, कच्छादेश तथा चक्रवर्ती की दिग्विजय एवं विभूति वर्णन १२२ भद्रशाल प्रादि की वेदियों का प्रमाण २०६ २३ विदेहस्थ कच्छा देश की अवस्थिति २०६ १ मंगलाचरण २४ विजया वर्णन २ गजदन्तों का प्रवस्थान एवं वर्ण १६० | २५ कूटोंके नाम, स्वामी, प्रमाण एवं परिधि २११ ३ गजदन्तों पर स्थित कुटों के नाम । २६ तमिस एवं प्रपात गुफा २१२ ४ कूटों के स्वामी एवं उदय २०१ १८४ २१० १२
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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