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चतुर्थाधिकार
[ ८७ धनुष, २ हाथ और १६३ अंगुल है)। धातको खण्ड को स्थूल परिधि ३६ लाख योजन (और सूक्ष्म परिधि का प्रमाण ४११०९६० योजन, ३ कोस, १६६५ धनुष, ३ हाथ, ७६ अंगुल) है । कालोदधि समुद्र की स्थूल परिधि का प्रमाण ८७ लाख योजन और पुष्करार्धद्वीप की स्थूल परिधि का प्रमाण १३५००००० एक करोड ३५ लाख योजन है । जम्बूद्वीप का बादर सूक्ष्म क्षेत्रफल प्राप्त करने के लिये नियम निर्धारित करते हैं:
परिवेषहताद व्यासाच्चतुभि- जिताफलम् ।
स्थूल सूक्ष्मं तदेवोक्त घृतक्षेत्रफलं पुरम ॥१०i अर्थः - स्थूलपरिधि को व्यास से गुणित कर चार से भाजित करने पर गोलक्षेत्र का स्थलक्षेत्रफल प्राप्त होता है और मुक्ष्म परिधि को व्यास से गुणित कर ४ से भाजित करने पर सूक्ष्मक्षेत्रफल प्रार होता है ।।२०।।
विशेषार्थ:-जम्बू द्वीप थाली के सदृश गोल है, इसका व्यास एक लाख योजन और स्थूल परिधि ३ लाख योजन है, अतः इसका स्थूल क्षेत्र फल स्यूल १०४ पास और सूक्ष्म क्षेत्रफल
सूक्ष्मपरिधि x व्यास के नियमानुसार निकलेगा।
बलयाकार क्षेत्र का स्थूल सूक्ष्म क्षेत्रफल प्राप्त करने का नियमः--
सूच्योर्योगस्य विस्तारदलघ्नस्य कृतिद्विधा ।
विघ्नदशघ्नयोर्मूले स्थूलान्ये घलये फले ॥२१॥ अर्थः- अन्तसूची और आदि सूची को जोड़ कर अर्ध विस्तार (अर्धरुन्द्रव्यास) से गुणित करने पर जो लब्ध प्राप्त हो उसे दो जगह स्थापित कर एक स्थान के प्रमाण को तिगुना करने से वादरक्षेत्रफल और दूसरे स्थान के प्रमाण का वर्ग कर जो लब्ध प्राप्त हो उसको दश से गुणित कर गुणनफल का बर्गमूल निकालने पर जो लब्ध प्राप्त होता है वह वलयाकार क्षेत्र के सूक्ष्मक्षेत्रफल का प्रमाण होता है ।२१।।
विशेषार्थः-लवणसमुद्र चूड़ी के सदृश वलयाकार है। इसका अन्त अर्थात् बाह्यसूची व्यास ५ लाख योजन और आदि अर्थात् अभ्यन्तर सूची व्यास एक लाख योजन है । इन दोनों का योग (५-- १) = ६ लाख योजन हुआ ! लवण समुद्र का अर्धविस्तार १ लाख योजन है अतः ६ ला.४१ ला = ६ लाख ४ लाख प्राप्त हुये । इसे ६ ला ला, ६ ला ला इस प्रकार दो जगह स्थापित कर एक जगह के प्रमाण को तिगुना करने से (६ ला ला४३) = १८ ला ला अर्थात् १८