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________________ सिद्धान्तसार दीपक यथा: सवमा समुद्र का बाहर सूची व्यास / ५ लाख योजन और पुष्करा द्वीप का बाहय सूची व्यास/. mater ४५ लाख योजन प्रमाण है। Pa! अब स्थूल और सूक्ष्म परिधि का विवेचन करते हैं: घ्यासास्त्रिगुणः स्थूलः परिधिः प्रोच्यते जिनः । वशघ्नध्यासवर्गस्य मूलं सूक्ष्मश्च वर्ण्यते ॥१६॥ अर्थः-बादर परिधि, व्यास की तिगुनी होती है, और व्यास का वर्ग कर दश से गुणित करना, तथा गुणनफल का वर्गमूल निकालना जो लब्ध प्राप्त हो वही सूक्ष्म परिधि का प्रमाण होता है । ऐसा जिनेन्द्र देव ने कहा है ॥१६।। अस्य बिस्तरः कथ्यतेः-जम्बूद्वीपस्य स्थूलपरिधिः त्रिलक्षयोजनानि । सूक्ष्मपरिधिः त्रिलक्षषोउशसहस्रतिशतसप्तविंशतियोजनानि, त्रिगव्य तानि, अष्टाविंशत्यधिकशतधषि त्रयोदशांगुलाः साधिका(गुलः । लवणाब्धेः स्थूलपरिधिः योजनानां पञ्चदशलक्षाणि । धातकीखण्वस्य चकोनश्चत्वारिंशलक्षाणि । कालोदधेः सप्ताशीतिलक्षागि 1 पुष्करार्धस्य द्वीपस्य स्थूनपरिधिः एकाकोटीपञ्चत्रिशल्लक्षाणि । अब इसी का सविस्तर कथन करते हैं: जम्बूद्वीप की स्थूल परिधि का प्रमारग ३ लाख योजन और सूक्ष्मपरिधि का प्रमाण ३१६२२७ योजन, ३ कोस १२८ धनुष और साधिक १३३ अंगुल है । लवणसमुद्र की स्थूल परिधि का प्रमाण १५ लाख योजन है (और सूक्ष्मपरिधि का प्रमाण १५८११३८ योजन, ३ कोश, ६४०
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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