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________________ बिरानी आस छोड़कर अपने भुजबल से काम लें । ३१२६% AHAK A Rोपाल रास क्षण में नष्ट कर देता है अतः दूसरे के कटु शब्द और व्यवहार को शांत भाव से सह लेना विपाक-विचार क्षमा है । (४) वचन क्षमा – किसी मनुष्य को कटु सब्द बोल उसका मन दुःखाना अथवा दूसरों के कटु शब्द सुन अपने मन में दुःख न लाना वचन क्षमा है । (५) धर्मक्षमा - गजसुकमाजी के समान अपने आत्म-स्वरूप को समझ सुख-दुःख से अलग रह कर एक मात्र मोक्ष का अभिलाषी होना धर्मक्षमा है। इसमें उपकार, अपकार और विपाक यह तीन क्षमा लौकिक तथा वचन और धर्मक्षमा लोकोत्तर क्षमा है। क्षमा के चार अनुष्ठान:- अनुष्ठान का अर्थ है, नियमित आराधना । इसके चार भेद हैं । (१) प्रीति-प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग और प्रत्याख्यान (पच्चक्खाण) प्रीति अनुष्ठान है। (२) भक्ति-सामायिक, चतुर्विशति-स्तव और गुरु-वंदन भक्ति अनुष्ठान है। (३) शास्त्र-आज्ञानुसार साधना करना वचन-अनुष्ठान है । (४) सहज प्रवृत्ति असंग-अनुष्ठान है । प्रश्न- छः आवश्यक का उद्देश्य तो कर्म निर्जरा है, फिर इसमें ऐसी भिन्नता क्यों ? उत्तर-निर्जरा अवश्य है किन्तु अपेक्षा कृत उसमें इतना अंतर है, जैसे घर में धर्मपत्नी और मां । महिला पर्याय की अपेक्षा तो स्त्री और मां दोनों समान और प्रिय हैं किन्तु जब अनुराग का प्रश्न उपस्थित होगा वहाँ दोनों में दिन-रात का अंतर हो जायगा । अर्थात मानव को पत्नी के साथ प्रीति-राग और मां के साथ भक्ति-राग का व्यवहार करना अनिवार्य है अतः ज्ञानी भगवान ने छः आवश्यक को विशेष रूप से स्पष्ट समझाने का प्रयत्न किया है। प्रश्न -- असंग-सहज प्रवृत्ति का क्या अभिप्राय है ? उत्तर - यह मन-वानर पल में ताला, पल में माशा बन राह भटक जाता है, अतः इसे कुंभार के चक्र समान एक सही मार्ग की ओर मोड़ देना असंग सहज वृत्ति है । अर्थात् यह मन उस चक्र के समान सदा अपने विशुद्ध आत्म-स्वभाव में ही रमता रहे। विष गरल अनुष्ठान छे, तद् हेतु वलि अमृत होय रे । त्रिक तजवा दोय सेववा, ए पांच भेद पण जोय रे ।। सं. ॥२९|| विष क्रिया ते जाणीये, जे अशनादि उद्देश रे । विष ततखिण मारे यथा, तेम एहज भव फल लेश रे ।। सं. ॥३०॥ परभवे इन्दादिक ऋद्धिनी, इच्छा करतां गरल थाय रे । ते कालांतर फल दीए, मारे जिम हड़कियो वाय रे ॥ सं. ॥३१॥
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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