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त्रियों में देवताओं तक्ष मुनियों का सा तेज है। हिन्वी अनुयाव सहित ** **** * ** *२ २ २. (३) प्रश्न फल कौनसा उत्तम है?
-उत्तर- जाय।(४) प्रश्न कन्या विवाह के बाद क्या करे ? -उत्तर- सासरे जाय |-- सुरसुन्दरी-पिताजी ! एक ही शब्द से चारों प्रश्नों के उत्तर हल हो सकते हैं। "सासरे जाय"
मयणा ने महि . पति कहे रे, अर्थ कहो अम एक । जो तमे शास्त्र संभालता रे, आव्यो हृदय विवेक रे, ॥॥ वत्स० आदि अक्षर विण जेह के रे, जगजीवाड़ण हार । ते ही मध्याक्षर विना रे, जग संहारण हार रे, ॥५॥ वत्स अन्त्याक्षर विण आपणुं रे, लागे सहने मीठ । मयणा कहे सुण जो पिता रे, ते में नयणे दीठ रे, नृप० ॥६॥
प्रजापाल - मयणासुन्दरी ! साहित्य शास्त्र में तुम्हारी विशेष गति है। तुम तीन प्रश्नों का उत्तर एफ ही शब्द में दे सकोगी ? एक शब्द है जिसका पहला अक्षर अलग कर दें तो वह दाद नरकती दुनिया के बाद बना देता है। उचर -'जल' यदि उसी शब्द के मध्य का अक्षर निकाल दें तो शेष शब्द का नाम सुनते ही सारा संसार कांपने लगता है। उत्तर-'काल' यदि उसी एक शब्द का अंतिम अक्षद निकाल दे तो उससे वशीकरण की सिद्धि होती है 'काज' अर्थात् मनुष्य को काम प्यारा है।
मयणासुन्दरी - पिताजी ! आपके इन तीनों प्रश्नों का उत्तर मेरे नत्रों में अंकित हैं। उत्तर-'काजल' ।
प्रश्नों के उत्सर सुन महाराज प्रजापाल बहुत प्रसन्न हुए । अबतक दोनों कन्याओं से भिन्न भिन्न प्रश्न पूछे जा चुके थे, किन्तु इस चार दोनों कन्याओं से एक समान समस्या पूछी गई ।
आयुर्वेद-शास्त्र की ८ कलाएँ
(१) आसव, सिर्का, आचार, घटनी, मुरब्बे बनाना । (२) काटा-सूई आदि शरीर में से निकालना, आंख का कचरा कंकर निकालना । (३) पाचक पूर्ण बनाना (४) भौषधो के पोव लगाना (५) पाक बनाना (६) धातु, विष, उपविष के गुण दोष जानाना । (५) भभक से अर्क ग्वींचना । (८) रसायन-भस्मादि बनान।।
धनुर्वेद सम्बन्धी ५ कलाएं
(१) लढाई-लड़ना (२) कुश्तो लड़ना (३) निशाना लगाना । (५) म्यूह प्रवेश निर्गमन एवं रचना । (५) हाथी, घोड़े, मेंढे सांड, लड़ाना।