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प्रिय सम्बनन्द ! स्वर्गीय पूज्यपाद साहित्यविशारद-विधाषण-आचार्यदेव श्रीमद्विजयभूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज विर| चित संस्कृत गधमय श्रीचन्द्रराजचरित्र ८ ३ पुष्प तरीके प्रकाशित किया जा रहा है । यों तो श्रीचंद्रराजचरित्र के संस्कृत पद्यमय, गद्यमय, तया हिन्दी, गुजराती भाषात्मक कवितारूप रास में संस्करण निकले हुए हैं, तथापि भाचार्यदेवने पण्डित-काशीनाथ जैन-सकलिव हिन्दी चरित्र के माधारसे इस पंथ को सरल एवं मधुर संस्कृत गयमय में रचकर सर्वजनलामार्थ परिश्रम उठाया है। जगह २ पर प्रासंगिक श्लोकों को रखकर ग्रन्थ की महत्ता और भी बढ़ा दी है। प्रस्तुत चरित्र २८ परिच्छेदों में | | विभाजित किया है जोकि सम्पूर्ण २० फार्म में २२४३० साइज के १२ पेजी पत्रकार में निकल रहा है। स्वर्गस्थ आचार्यदेव । के रचित ग्रंथ प्रकाशनार्थ माहोर ( मारवाड़ ) में सं. १९९५ में चैत्र बदि २ को वर्तमानाचार्य पू० पा. व्या० वा. भाचार्यदेव श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज आदि मुनिमण्डलने एकत्रित हो 'श्रीपेन्द्रसरि-जैनसाहित्यप्रकाशकसमिति' नामक संस्था स्थापित की, और आचार्यमहाराजरषित ग्रंथों का संशोधन एवं प्रकाशनकार्य पू० पा० उपाध्यायजी श्रीमान् गुलाबविजयजी महाराज, मुनिराज तपस्वी श्री हर्षविजयजी, मुनिराज श्री हंसविजयजी और मुनिश्री कल्याणविजयजी इन चार मुनिवरों को सौंपा गया । उक्त समिति की ओर से यह समिति का ८ वो पुष्प आप महानुभाषों के सामने उपस्थित हो रहा