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________________ - - घवलसेठको चोरोस छुड़ाना । निदान सेठको बांधकर ले जाते हुए देखकर श्रीपालसे रहा न गया, इसलिये वे तुरन्त उठ खडे हुए। तब इन्हें सहा देख से टके आवमी रुदन करते हुए आये और करुणाजनक स्वरसे बोले स्वामिन ! बचाओ। देखो, सेटको डॉकू बांधे लिये जा रहे हैं । श्रीपाल उनको दीन-वाणी सुनकर और उन डांकु-- बोंकी निष्ठुरताको देखकर बोले "अरे धीरो! धर्म रक्खो! चिन्ता न करो ! मैं देखता हू चोरोंमें कितना बल है ! अभी बात की बातमें सेठको छुडाकर लाता है। श्रीपालजी के वचनोंसे सबको संतोष हुमा और धीपालने तुरन्त ही शस्त्र धारणकर चोरोंको सामने जाकर ललकारा___ अरे नीचो ! क्या तुम मेरे सामने सेठको ले जा सकते हो? कायरो! खडे रहो और सेठको छोडकर अपनी सम्मा कराओ, नहीं तो अब तुम्हारा अन्त हो आया बानो श्रीपारूको यह सिंहगर्जना सुनने मात्रसे ही डांफू लोम मृगदल के समान तितरबितर हो गये, और किसी प्रकारा. अपना बचाव न देखकर घर २ कांपने लगे। निदान यह सोचकर कि यदि मरना होगा तो इन्हीके हायसे मरेगे, सबब तो इनका शरण लेना ही बेष्ठ हैं । यदि इन्हे क्या भा गई तो बच भी जावेंगे नहीं तो ये एक एकको पकड२ कर समुद्र में हवाकर नामनिःशेष कर देंगे । यह सोचकर डांकु लोग बीपालकी शरण में आये और सेठका बन्धन छोड़कर नतअस्तक होकर बोले___ "स्वामिन् ! हम लोग अब आपकी शरण हैं, जो चाहो हो कीजिये !'' सब धीपालने. धवल से टसे पूछा-"ताद !
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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