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________________ धवलसेठको चोरोंसे छुड़ाना धवलसेठको चोरोंसे छुड़ाना 7 समुद्र में जब कि छवलसेठके जहाज चले जा रहे थे और सब लोग अपने रागमें लवलीन थे अर्थात् कोई श्रीजीकी आराधना करते थे, कोई नाचरगमें रंजित थे, कोई समुद्रको देखकर उसकी लहरोंसे भयभीत हो कायरसे हो रहे थे, कि उसी समय मरजिया ( जहाजके सिरेपर बैठकर दूर तक देखनेवाला ) एकदम चिल्ला उठो शूरवीरो ! होशयार हो जाओ । अब असावधानीका समय नहीं है। देखो, सामने से एक बड़ा भारी डाकुओंका दल आ रहा है । उनमें बढ़ेर वीर लोग दृष्टिगोचर होते हैं, जोकि हथियारबद्ध हैं । = [ ८५ उसके ऐसा कहतेर हो जहाज में एकदम खलबली मच गई । सामन्त लोग हथियार लेकर सामने आ गये और कायर भयभीत होकर यहां वहां छुपने लगे । देखते ही देखते लुटेरोंका दल निकट आ गया और उन्होंने आकर - शेठ शूरोंको ललकारा । अब तुम्हारा साथ स्वीकार अरे मुसाफिरो ! ठहरो, कहां जाते हो ? 'निकल जाना सहज नहीं है ! या तो हमारा - करो, या अपनी सब सम्पति हमें सौंपकर अपना मार्ग लो, अन्यथा तुम्हारा यहां से जाना नहीं हो सकता । यदि तुम में कोई . • साहसी है तो सामने आ जावे । फिर देखो, कंसा चमत्कार दिखाई पड़ता है। सेटके शूरवीर उन डाकुओं की ललकार सह न सके, तुरंत ही टोडी दलके समान टूट पड़े, और दोनोंमें घमसान युद्ध होने लगा । बहुतसे डाकू मारे गये, और कई पकड़े भी गये, जिससे वे भाग पड़े और सेठके में आनंद ध्वनि होने लगी, परन्तु इतने हीसे इस आपतिका ..
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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