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________________ धवलमेकका वर्णन । [१] एक ऐसे ही महापुरुषका बलिदान करना होगा। यह सुनकर सेठ अपने डेरे में आया, और मंत्रियोंसे मंत्र करके उस नगरके राजाके समीप गया और बहमूल्य भेट देकर राजाको प्रसन्न किया और मौका पाकर अपना सम्पूर्ण वृत्तांत कह राजासे एक आदमीके बलि देने की आज्ञा प्राप्त कर ली । तुरन्त ही ऐसा मनुष्य जो अला गुणवान और निभय हो उसे ढूढने के लिये चारों ओर आदमी भेजे । सो नौकर फिरते२ उसी बगीचे में, जहां कि श्रीपालजी एक वृक्षके नीचे शीतल छायामें सो रहे थे पहुंचे। उनको देखकर वे विचारने लगे कि हमें असा पुरुष चाहिये था, यह ठीक वैसा ही मिल गया है। बस, अपनाह काम बन गया । परन्तु उन्हें जमानेको किसी की भी हिम्मत नहीं पडती थी। सब लोग परस्पर एक दुसरेको जगाने के लिये प्रेरणा कर रहे थे कि इतने में श्रीपालजीका नींद अपने आप ही खुल गई। उन्होंने अखि खुलते ही अपने आपको चारों ओरसे घिरा हुआ देखा, तब वे निशंक होकर बोले___ "तुम लोग कौन हो? और मेरे पास किसलिये आये हो ? यह सुनकर वे नौकर छोले-" हे स्वामिन् ! कौशांबी नगरीका एक धनिक व्यापारी, जिसका नाम धवल सेठ है, व्यापार निमित्त पांचसो जहाज लेकर विदेशको जा रहा था, यहां किसी कारणसे उसके जहाज खाडी में अटक गये हैं सो उसने मंत्रियोंसे मंत्र करके विवेक रहित हो, जहाज चलाने के लिये एक आदमीकी बलि देना निश्चय कर हमको मनुष्यकी तलाश में भेजा है। अभीतक ऐसा मनुष्य हमको कोई मिला हो नहीं है, और बेठका डर भी बहुत लगता है कि खाली जायेगे तो वह हमें
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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