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आराधना-कपा-कोष
धुसी, उसी समय रुद्र मुनिने इन्हें खुले शरीर देखा । देखते ही कामसे पीड़ित हो वे इन पर मोहित हो गये और अपनी विधा द्वारा उनके कपड़े धुरा भंगवाये । कन्याएं अब स्नान कर बाहर निकलीं, तो कपडे न देख उन्हें आश्चर्य हुआ। वे लज्जाके मारे व्याकुल होने लगीं। इतने में उनको नजर रुद्र मुनि पर पड़ी और पास जा कर संकोचसे पूछा--"प्रभो ! कृपा कर हमें बताइये कि हमारे कपड़े क्या हो गये?" आपत्ति के समय लज्जा संकोच सब जाता रहता है। रुद्रने निर्लज्जकी तरह उनसे कहा- "हां, मैं तुम्हारे वस्त्रका पता बता सकता है, यदि तुम सब मुझे चाहने लगो।" कन्याओंने कहा--"हम अबोध हैं, यदि पिताजी इस बातको स्वीकार कर लें, तो फिर हमें कोई आपत्ति न रहेगी। इसपर मुनिने उनके वस्त्र लौटा दिये। बालिकाओंने घर जा कर सब बातें अपने पिताजी से कहीं। देवदारुने एक विश्वस्त कर्मचारी द्वारा मुनिको कहला भेजा कि वे अपनी लड़कियोंको उन्हें अर्पण कर सकते हैं, यदि मुनिराज विद्युजिह्वको मार कर उनका राज्य उन्हें वापस दिलबा सकें। रुद्रने स्वीकार कर लिया, रुद्रको अपने अनुकुल देख देवदार उसे घर पर ले आया। राज्य-भ्रष्ट राजा पुनः राज्य प्राप्तिके लिये क्या नहीं कर सकता है ? ___रुद्र विजया पर्वत पर गया और विद्याओंको सहायतासे विद्युजिह्वको मारकर उसी समय देवदारुको सिंहासनपर बैठा दिया। राज्य प्राप्तिके बाद देवदारूने भी अपनी प्रतिज्ञा पूरी को। अपनी सर्ण लड़कियोंका विवाह आनन्द-उत्सवके साथ इनसे कर दिया। इसके सिवाय और भी बहुत सी कन्याओंसे उसने विवाह किया । दिवा-रात्रि उसके काम सेवनके फल-स्वरूप संकड़ों राज-कन्याएं अकालमें हो काल