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________________ आरामस-कथा-कोष सात्यकि और रुद्रकी कथा केवल ज्ञान हो जिनका नेत्र है, ऐसे जिन भगवानको नमस्कार कर शास्त्रानुसार सात्यकि और रुद्रको कथा लिखी जाती है । __ गन्धार देश के महेश्वरपुर नामक सुन्दर शहरमें सत्यन्धर नामक राजा अपनी स्त्री सत्यवती के साथ रहते थे। इनके -सात्यकि नामका एक पुत्र हुआ, जिसने राजविद्यामें बड़ो कुशलता प्राप्त की। __उस समय सिंधु देशका विशालानग रोका राजा चहेक । जैनम्रर्म का पालक और जिनेन्द्र भगवान का सच्चा भक्त था। उसको रानी सुभद्रा बड़ो पतिव्रता और वर्मात्मा थो । उसको सात कन्यायें थीं, जिनका नाम पवित्रा, मृगावती, सुप्रभा, 'प्रभावतो, चेतनो, ज्येष्ठा और चन्दना था । सम्राट श्रेणिकने चहेकले चेलिनोको मांगा, पर पहेकने उनको आयु अधिक देख, लड़की देने से इनकार कर दिया । धेणिक को यह बहुत बुरा लगा। अपने पिताका दुःखका कारण जानकर अभयकुमारने उनका एक सुन्दर चित्र बनवाया ओर उसे ले विशाला पहुँचा। वह चित्र चेलिनोको दिखलाकर उसने उसे श्रेणिकपर मुग्ध कर लिया । बहेकको सम्मति अनुकूल न देख अमयकुमारने चेलिनोको गुप्त मार्ग से ले जाने का विचार किया । जब चेलिनो उसके साथ जानेको तैयार हुई, तब ज्प्रेष्ठाने भो साथ चलने को कहा | चेलिनो राजो तो हो गई, पर बादमें उसे ले जाना ठीक नहीं समझ थोड़ा दूर जानेपर ज्येअसे कहा-“बहन ! मैं अपने आभूषण तो महल में हो भूल आयी हूँ, तू जाकर उन्हें ले आ? मैं अबतक यहीं खड़ो हूँ।" ने चारो ज्येष्ठा उसके फांसे में बा गई
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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