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आराधना-कथा-कोष =-=-ren
u narist .-:.- .-menहुआ सुखसे रहता है। सुमेरु और कैलाश पर्वत आदि स्थानोंकजिन मन्दिरोंमें जाना, विदेह क्षेत्र जाकर साक्षात् तीर्थपुर केवली भगवानकी स्तुति करना तथा उनका धर्मोपदेश सुनना आदि धर्म साधनमें ही वहां अधिक समय लगता है। जिन भगवानके प्रचारित धर्मकी, इन्द्र, नागेन्द्र विद्याधर आदि भक्तिपूर्वक उपासना करते हैं, तुम भी इसी धर्मका आश्रय लो, जिससे परम पदको प्रान कर सको ।
-: * :-- पराशर मुनिकी कथा जिनेन्द्र भगवानको नमस्कार कर अन्य मतोंकी असत्कल्पनाओंका सत्पुरुषोंको ज्ञान हो, इसलिये उन्हींके शास्त्रोंमें लिखी हुई पराशर नामक तपस्वीकी कपा लिखी जाती हैं । __हस्तिनापुरमें गङ्गभट नामक एक धीवर रहता था। एक दिन नदी में उसे एक बड़ी मछली मिली, जिसके चीरने पर उसमें से एक सुन्दर कन्या निकली। उसके शरीरसे बड़ी दुर्गन्ध निकल रहीं थी। धीवरने उसका नाम सत्यवती रखा, यत्नसे उसका पालन-पोषण करने लगा 1 मछलीसे कन्या पैदा हो, यह बात सर्वथा असम्भव होने पर भी, लोग आंख बन्द कर ऐसी बातों पर विश्वास किये चले जाते हैं। __सत्यवती जब बड़ी हुई, तब एक दिन गङ्गभट उसे नदी किनारे नावपर बैठाकर आप किसी कामसे घरपर आ गया । इतने में पराशर मुनि वहां आ पहुँचे और सत्यवतोसे बोले-"लरकी मुझे नदी पार जाना है, तू नावपर बैठाकर मुझे पार कर दे।" मोलो सत्यवती उनकी बात मान उन्हें नावपर बैठाकर नाव खेने लगी । सत्यवती सुन्दर तो पो.