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योपाल चरित्र ।
वर्तमान चौबीसी जिन स्तुति नमों में प्रथम ऋषभ चरणा,
दूजे अजित अजित रिपु जीते, ध्याऊं अघहरना । तीजे सम्मव भव नाशे,
चौथे अभिनन्दन पद सेउ', कर्म नशैं जासे || पंचम सुमति-गुमतिदास, छतु पद्मनाक : किलो गाई मार : सातवें वीसुपार्श्वनाथा आउँ चन्द्रनाथ जिन चरणोंनाऊं निजमाथा नदमें पुष्पदंत-संता दश- शोतलनाथ जिनेश्वर देत शर्मऽनंता । अयारहों में यासस्वामी, वासुपूज्य बारहों ध्याऊं तीनलोकनामी॥ रहों विमल २ जानो, अनंत चतुष्टययुत चौदहोऽनंतनाथमानो। पंद्रहही धर्मशम करता,सोलहों श्रीशांतिनाथप्रभु भवाताप हरता सत्रहवे कुन्थुताथस्वामी,अरहनाथ मरिगणव सुनाशक अठाहरगेनामी उनीसो मालिसल्लचूरे, विशतिव मुनि सुतस्वामीवत अनंत पूरे ॥ मनकोसमें नमिनाथ देवा, बाईसमें थीनेमिनाथ पात इन्द्र करें सेवा। सेईसवे पाळनाथ ध्याऊ,चौबीसवें श्रीवर्धमानको भक्ति हिए भाऊ तीर्थङ्कर चौवोसों नामो,
पंचकल्याण धारी सब ही, शिवपुर विसरामी । लिय यह "दीपचन्द" केरी,
__ जब लग भोक्ष मिले नहीं, तबल ग ल हूँ भक्ति तेरी।। यह विधिर जिन स्तुति,भक्ति भाव उर माय । कर बचनिका ग्रन्थकी, शारद करो सहाय ।।