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________________ ५४ ] आराधना-कपा-कोष मनुष्यको देखकर पक्षी हरकर उड़ जायेंगे और बड़ी सरलतासे उद्देश्य सिर हो जायगा। ___ चारदसने रुददत्तकी पापभरी बातें सुनकर उसे बहुत फटकारा और कहा कि ऐसे पाप द्वारा प्राप्त किये धनकीमुझे कोई जरूरत नहीं। रातको ये दोनों सो गये। चारुदत्तको गाढ़ी नींद में सोया देख पापी रुद्रदत्त चुपकेसे उठा और जहां बकरे वन्धे थे वहां गया। उसने पहले अपने बकरेको मारा और फिर चारुदत्तके बकरेपर हाथ बढ़ाया। इतने में अचानक चारुदत्तकी नींद खुल गई । रुद्रदत्तको अपने पास सोया न पाकर उसका मामा मनका | बार देखा कि पापी रुद्रदत्त बकरेका गला काट रहा है | मारे क्रोषके चारुदत्त लाल-पीला हो गया। उसने रुद्रदत्तके हापसे छुरा छीनकर उसे खुब खरी-खोटी सुनाई। सच है, निर्दयी पुरुष कौन-सा पाप नहीं करते ? उस अधमरे बकरेको टुकर-टुकर देखते पाकर चारुदत्तकर हृदय दयासे भर आया। उसकी आंखों से आंसुओंकी धार बह निकली | बकरा प्राय: काटा जा चुका था। इसलिये उसको बचानेका प्रयत्न करनेसे वह लाचार था । उसकी शांतिके साथ मृत्यु और सुगति के लिये चारुदत्तने उसे. 'पंच-नमस्कार मंत्र ' सुनाकर सन्यास दे दिया। जो धर्मात्मा जिनेन्द्र भगवानके उपदेशका रहस्य समझते हैं उनका जीवन परोपकारके लिये ही होता है । चारुदत्तकी इच्छा पी कि वह पीछे लौट जाय पर इसके. लिये उसके पास कोई साधन न था । इसलिये लाचार हो उसे भी रुद्रदत्तकी तरह उस पैलीकी शरण लेनी पड़ी । उड़ते हुए भेरुण्ड पक्षी दो मांस-पिण्ड देख वहां आये और उन दोनोंको चोंचोसे उठा चलते बने । रास्तेमें उन में परस्पर
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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