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________________ भीपाका मारा। निश्चय धर्मका कारण है। इसलिए व्यबहारसे सप्त तत्वोंका श्रद्धान सो दर्शन, अथवा इनका जो कारण सत्यार्थ देव, गुरु और शास्त्रका श्रद्धान् सो सम्यग्दर्शन है, और पदार्थीको यथार्थ जानना सो ज्ञान है, और इनकी प्राप्तिके उपायमें तत्पर होना, सो सम्यक्चारित्र है । सो चारित्र दो प्रकार है-राबंथा त्यागरूप (मुनिका), और एकदेश त्यागसे गृहस्थका) पंच महाव्रत, पंच समिति, तीन गुप्तिरूप मुनिका पचायत तथा सप्त शीलरूप श्रावकका होता है ।। नावककी ग्यारह प्रतिमाएं है जिनमें शक्ति अनुसार उत्तरोत्तर कषायोंकी मंदतासे जसे २ त्यागभाव बढ़ता जाता है जैसी ही उपर उपरको प्रतिमाओंका पालन होता माता हैं और मुनिका व्रत बाह्य तो एक ही प्रकार है, परन्तु गुणों तथा गुणस्थानोंकी परिपाटोसे अन्तरङ्ग मावोंकी अपेक्षा अनेक प्रकार है । इस प्रकार सम्यक्त्व सहित व्रत पालं, और आयुके अन्त में दर्शन ज्ञान चारित्र और तप इन चार आराधनाओंपूर्णक सल्लेखना मरण करें।' इस प्रकार संक्षिप्तसे धर्मोपदेश दिया जिसको सुनकर राजाको परम आनंद हुआ । पश्चात् श्रीपालजीने विनयपूर्णक पूछा-'हे परम दयालु ज्ञान सूर्य प्रभो ! कृपाकर मेरे भवान्तर कहिये, कि किस कर्मक उदयसे में कोढी हुआ ? किस पुण्यकर्मके उदयसे सिद्धचक्र व्रत लिया। किस कारण समुद्र में गिरा ? किस पुण्यसे तिरकर बाहर निकला ?: किस कर्मसे भांडोंने मेरा दिगोवा किया? किस कारणसे वह मिट गया। और किस कारण मैनासुन्दरी आदि बहुतसो रूप व गुणवती: स्त्रियां और विभूति पाई ?' इत्यादि ।
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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